Politics: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। जयशंकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान की तारीफ करते हुए कहा कि वे सिर्फ राजनैतिक प्रेरणा नहीं हैं, बल्कि कूटनीति के प्रेरक हैं।
एस. जयशंकर ने बताया कि “आज हम जिस दुनिया को संघर्ष और हिंसा से घिरा हुआ देखते हैं, उसमें महात्मा गांधी की प्रासंगिकता भी बहुत है। इसलिए जब हम विभाजन को पाटने के लिए विरोधाभासों में तालमेल कायम करने की कोशिश करते हैं, तो महात्मा गांधी न केवल एक राजनैतिक प्रेरणा के रूप में, बल्कि कूटनीति के प्रेरक भी हैं।”
जयशंकर ने कहा कि गांधी की प्रतिमा दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंधों की पुष्टि हुई है। योग से लेकर संस्कृति, कला और बौद्ध धर्म तक लोग गहरे जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि “यह महत्वपूर्ण है कि पिछली सदी की दो महान हस्तियों, महात्मा गांधी और राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने अपने जीवनकाल के दौरान संदेशों का आदान-प्रदान किया। 1958 में अपनी भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति हो ची मिन्ह को मीडिया में ये कहते हुए उद्धृत किया गया था कि ‘मैं और दूसरे लोग क्रांतिकारी हो सकते हैं, लेकिन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हम महात्मा गांधी के शिष्य हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं। इससे कम कुछ नहीं”
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विदेश मंत्री ने कहा कि वियतनाम के पूर्व राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने भारत-वियतनाम दोस्ती की नींव रखी थी। इसके साथ ही “राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने भारत और वियतनाम के बीच स्थाई दोस्ती की नींव रखी। लेकिन ये रिश्ता तब से कई सरकारों में विकसित हुआ है और 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान व्यापक रणनैतिक साझेदारी बनी। यात्रा में मुझे भी शामिल होने का सम्मान मिला था।”
जयशंकर ने कहा कि भारत-वियतनामी संबंधों में आज राजनैतिक आदान-प्रदान, आर्थिक मदद, व्यापार, निवेश, सुरक्षा, विकास साझेदारी, संस्कृति और लोगों से लोगों के बीच जुड़ाव शामिल हैं, वियतनाम से जयशंकर 19 से 20 अक्टूबर तक सिंगापुर की यात्रा पर जाएंगे।