Vrindavan: वृंदावन की कात्यायनी पीठ में नवरात्रि के चौथे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कात्यायनी पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है, 51 शक्तिपीठों में से एक मां कात्यायनी शक्तिपीठ देखने लायक हैं। वृंदावन धाम के मंदिर में इसी जगह पर माता सती के बाल गिरे थे। ये शक्तिपीठ भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा से 12 किलोमीटर दूर वृंदावन में है।
मद्भागवत ग्रंथ के मुताबिक राधारानी ने गोपियों के साथ भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए कात्यायनी पीठ की पूजा की थी, पूजा से खुश होकर माता रानी ने उन्हें वरदान दिया और कृष्ण अलग-अलग रूपों में हर एक गोपी के साथ पति के रूप में प्रकट हुए। तब से लेकर अब तक लोग यहां मनचाहा वर-वधु पाने के लिए नवरात्रि के मौके पर देवी मां का आशीर्वाद लेने आते हैं.
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पुजारी ने बताया कि “हमारे मंदिर में माता की तीनों पहरों में पूजा होती है और हमारे मंदिर ट्रस्ट की तरफ से भक्तों की प्रसाद और भोजन की व्यवस्था पूरी की गई है और मंदिर की तरफ से सारी व्यवस्थाएं हो रही है।” वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि “मां कात्यायनी ने सबको वरदान दिया थी जब उनकी अराधना की गई थी कि आप सभी को मनोवांछित वर प्राप्त होगा। इसलिए जो कुंवारी कन्याएं होती है वो मनचाहे वर के लिए मां कात्यायनी की अराधना करता हैं। “