माथे पर क्यों लगाते हैं तिलक? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण !

हिन्दू आध्यात्म की असली पहचान तिलक से होती है। मान्यता है कि तिलक लगाने से समाज में मस्तिष्क हमेशा गर्व से ऊंचा होता है। हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में “तिलक या टीका” लगाने का विधान हैं। यह तिलक कई वस्तुओ और पदार्थों से लगाया जाता हैं। इनमें हल्दी, सिन्दूर, केशर, भस्म और चंदन आदि प्रमुख हैं, परन्तु क्या आप जानते हैं कि इस तिलक लगाने के प्रति भावना क्या छिपी हैं?
पुराणों में वर्णन मिलता है कि संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है की स्नान करने के बाद पंडों द्वारा विशेष तिलक अपने भक्तों को लगाया जाता है। माथे पर तिलक लगाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व है।
माथे के बीच में आज्ञा चक्र पर लगाते हैं तिलक
हमारे शरीर में ऊर्जा के 7 छोटे-छोटे केंद्र हैं जिन्हें चक्र कहा जाता है और ये चक्र अपार शक्ति के भंडार हैं. तिलक या टीके को माथे के बीचों बीच लगाने के पीछे कारण ये है कि वहां पर आज्ञा चक्र होता है. हमारे शरीर के 7 चक्रों में से यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. आज्ञा चक्र स्पष्टता और बुद्धि का केन्द्र है. यहां पर शरीर की 3 प्रमुख नाड़ियां- इडा (चंद्र नाड़ी), पिंगला (सूर्य नाड़ी) और सुषुम्ना (केन्द्रीय, मध्य नाड़ी) आकर मिलती हैं. आज्ञाचक्र को गुरुचक्र भी कहा जाता है क्योंकि यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है. यह हमारे शरीर का केंद्र स्थान है.
तिलक लगाने के फायदे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और कई तरह की मुश्किलों से बचने में मदद मिलती है. साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि चंदन का तिलक लगाने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. मानसिक शांति और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भी चंदन का तिलक लगाया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि तिलक लगाने से व्यक्ति के स्वभाव में सुधार आता है.

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