उत्तराखंड की इस जगह में है दुनिया की सबसे ज्यादा ग्रैविटी, शोध कर नासा भी है हैरान

नमिता बिष्ट

दुनियाभर में तीन जगह ऐसी हैं, जिनको जबरदस्त चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता है। इनमें से एक जगह देवभूमि उत्तराखंड में भी है। नासा भी इस जगह की कॉस्मिक एनर्जी को देखकर हैरान रह गया। दरअसल नासा ने जब कुमायूं क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत पर शोध किया तो पता लगा कि कसार देवी मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। यानि पृथ्वी का वह क्षेत्र जहाँ से उत्पन्न चुंबकीय आवरण पृथ्वी को सूर्य से आने वाली ऊर्जावान चार्ज कणों द्वारा बचाता रहता है।

 

नासा कर रहा कसार पर्वत पर शोध

बता दें कि नासा कुछ समय से कसार पर्वत पर वैन एलेन बेल्ट बनने के कारणों को जानने के लिए शोध कार्य कर रहा है। नासा के मुताबिक कसार पर्वत की धरती में विशाल भू-चुबकीय पिंड मौजूद हैं। इससे इस क्षेत्र में गुरुत्वाकर्षण बल बाकी जगहों के मुकाबले ज्यादा है।

 

ध्यान करने से मिलती है मानसिक शांति

उत्तराखंड के कसार देवी मंदिर के आसपास के क्षेत्र के अलावा दक्षिण अमेरिका के पेरू में माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में जबरदस्त समानताएं हैं। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है। इस वजह से तीनों ही जगहों पर ध्यान करने से मानसिक शांति महसूस होती है।

 

नासा ने चिह्नित कर लिखा GPS-8

कसार देवी मंदिर को वैज्ञानिक नजरिये से कभी खास महत्व नहीं दिया गया। अब नासा इस क्षेत्र में भू-चुंबकीय प्रभाव को मान्यता दे चुका है। कसार देवी मंदिर परिसर में जीपीएस 8 (KASAR DEVI GPS 8) वह प्वाइंट है, जिसको लेकर नासा ने ग्रेविटी प्वाइंट के बारे में बताया है। मुख्य मंदिर के द्वार के बायीं ओर नासा ने इस स्थान को चिह्नित करते हुए GPS-8 लिखा है।

 

 

वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट क्या है?

कसार देवी मंदिर वैज्ञानिक नजरिये से काफी रोचक है। इसका संबंध पृथ्वी के ठीक बाहर मौजूद चुंबकीयमंडल या मैग्नेटोस्फियर से है। पृथ्वी के मैग्नेटोस्फियर के कारण भारी संख्या में एनर्जी से भरे हुए चार्ज्ड पार्टिकल्स की लेयर बनी हुई है। इसे ही वैन एलन रेडिएशन बेल्ट कहते हैं।

 

अंतरिक्ष विज्ञानी जेंस वैन एलेन के नाम पर रखा गया

नासा के शोध ने पुष्टि की है कि पृथ्वी का भू-चुबकीय क्षेत्र सौर पवन को रोककर ऊर्जावान कणों को बिखेरकर हमारे वायुमडंल को नष्ट होने से बचा लेता है। इस बेल्टो का नाम इओवा यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष विज्ञानी जेंस वैन एलेन के नाम पर रखा गया है।

 

दूसरी शताब्दी का मंदिर है कसार देवी

बता दें कि कसार देवी मंदिर दूसरी शताब्दी का है। हर साल नवंबर से दिसंबर के बीच यहां कसार देवी का मेला लगता है। मौजूदा मंदिर को बिड़ला परिवार ने 1948 में बनवाया था। यहां एक शिवमंदिर भी है जो 1950 के दशक में बना था।

 

हिप्पी आंदोलन से मिली पहचान

स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आये थे। उन्होंने यहां की पहाड़ी की एक एकांत गुफा में बहुत गहन ध्यान क्रियाएं की थी। उनके अलावा पश्चिमी देशों के बई साधक भी यहां आ चुके हैं। यह क्षेत्र क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है। ये क्षेत्र 1980-70 के दशक के हिप्पी आंदोलन में बहुत प्रसिद्ध हुआ था।

 

कई हस्तियां पहुंच चुकी है यहां

कसार देवी मंदिर में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अंगारिका गोविंदा, पश्चिमी बौद्ध शिक्षक रॉबर्ट थुरुमैन भी आ चुके हैं। इनके अलावा डीएस लॉरेंस, कैट स्टीवन्स, बॉब डिलान, जॉर्ज हैरिस, डेनमार्क के एल्फ्रेड सोरेनसन जैसी पश्चिम की कई हस्तियां यहां आई हैं।

 

कैसे पहुंचे कसार देवी मन्दिर

हवाई मार्ग- कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा आने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है। पंतनगर हवाई अड्डा मुख्य शहर हल्द्वानी से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हल्द्वानी से अल्मोड़ा लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दूरी बस द्वारा या फिर टैक्सी और निजी वाहन से भी तय की जा सकती है।

रेल मार्ग- निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, यहां से अल्मोड़ा के लिए बस और टैक्सी की सुविधा हमेशा उपलब्ध रहती है।

सड़क मार्ग- सड़क मार्ग से कसार देवी मंदिर के दर्शन करना बहुत ही आसान है, आप हल्द्वानी भीमताल भवाली गर्म पानी होते हुए अल्मोड़ा के रास्ते कसार देवी मंदिर पहुंच सकते हैं।

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