Pantnagar: एक दिवसीय दौरे के तहत ऊधम सिंह नगर जिले के पंतनगर में स्थित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि व प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित 35 वां दीक्षांत समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में पहुची। द्रौपदी मुर्मु ने 1041 विद्यार्थियों को उपाधि और दीक्षा प्रदान की।
दीक्षांत समारोह में नेहा बिष्ट को सर्वोत्तम स्नातक होने के नाते कुलाधिपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित करने के अतिरिक्त 11 विद्यार्थियों को कुलपति के स्वर्ण पदक, कुलपति के रजत पदक 11 विद्यार्थियों, कुलपति के कांस्य पदक 10 विद्यार्थियों को दिये गये, जबकि 02 लोगो को भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पन्त अवार्ड से सम्मानित किया गया।
प्रशासनिक भवन के दीक्षांत प्रांगण में आयोजित इस समारोह में उत्तराखण्ड के राज्यपाल व कुलाधिपति, ले. जनरल गुरमीत सिंह, रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट एवं कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री माननीय उत्तराखण्ड गणेश जोशी मंचासीन थी। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को बधाई दीं। उन्होंने बताया कि आज पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की संख्या ज्यादा थी।
राष्ट्रपति होने के नाते उन्होंने 50 से अधिक विश्वविद्यालयो में शिरकत की है और वहां भी छात्राओं ने सफलता का परचम लहराया हैं। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहां इस दिन विद्यार्थियों के परिवार के सदस्य एवं शिक्षक गर्व का अनुभव करते हैं। उन्होंने बताया कि देश का प्रथम विश्वविद्यालय शुरूआत से ही कृषि, अनुसंधान, प्रसार के लिए उत्कृष्टता का केन्द्र बना हुआ है। पन्तनगर विष्वविद्यालय का बीज ‘पन्तनगर बीज’ के नाम से विश्व विख्यात है और कृषि क्षेत्र जुड़े किसान आंख बंद कर विश्वास करते है।
Pantnagar: 
उन्होंने बताया कि क्लाइमेंट और मृदा की समस्याओं से निपटने के लिए विष्व प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण विश्व वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मना रहा है। उत्तराखण्ड मोटे अनाज के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। विष्वविद्यालय द्वारा कृषि में छिड़काव हेतु ड्रोन का निर्माण किया गया है जो कुछ क्षणों में कई हैक्टेयर भूमि में छिड़काव कर सकता है। इससे किसानों के समय की बचत होगी। इस उपलब्धि के लिए विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को बधाई दी।