Kedarnath Yatra: पशु क्रूरता अधिनियम के तहत दो खच्चर स्वामियों पर FIR दर्ज

चारधाम यात्रा के दौरान जहां श्रद्धालुओं की मौत का सिलसिला जारी है वहीं बेजुबान घोड़े-खच्चरों की भी लापरवाही के चलते मौत हो रही है। आलम यह है कि केदारनाथ यात्रा शुरू से अब तक महज 25 दिनों ने 400 से ज्यादा घोड़े-खच्चर की मौ हो चुकी है। जांच में पता चला है कि घोड़ा-खच्चर की मौत तीव्र पेट दर्द (शूल), पानी की कमी, बर्फीला पानी पीने और अधिक कार्य लिए जाने से हो रही है।
दो पशु स्वामियों पर मुकदमा दर्ज
यात्रा में घोड़े और खच्चरों से बेहद ज्यादा काम भी लिया जा रहा है। मामले का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो प्रशासन की नींद खुली और ऐसे घोड़ा-खच्चर स्वामियों पर कार्रवाई के आदेश दिए गए। जिसके तहत गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चेकिंग के दौरान पशुपालन विभाग की टीम ने घोड़ा-खच्चरों के संचालन के मामले में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत दो पशु स्वामियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही अन्य को भी जरूरी निर्देश दिए हैं।
यात्रा में दिख रहा मानव का क्रूर चेहरा
दरअसल, सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के साथ हो रही क्रूरता को दिखाया गया था। वीडियो में कई बेजुबान घोड़े-खच्चर श्रद्धालुओं और सामान ढोने के बाद चलने की हालत में भी नहीं हैं, लेकिन मालिक इन्हें जबरदस्ती खींचकर या पीटकर चढ़ाई पूरी करा रहे हैं। कुछ घोड़े-खच्चर तो घायल और बीमार होने के बाद भी काम कर रहे हैं। जिस कारण घोड़े-खच्चरों की मौत हो रही है। जिसके बाद मामले का प्रशासन ने संज्ञान लिया और केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग पर विभागीय टीम ने चेकिंग अभियान चलाया। चैकिंग के दौरान देखा कि दिलवर सिंह, ग्राम खुमेरा को का खच्चर चलने में असमर्थ है। बावजूद, पशुपालक उसे यात्रा में जबरन लाया है। खच्चर को तत्काल उपचार के लिए गौरीकुंड लाया गया। वहीं, पशु स्वामी मोहम्मद शहवान ग्राम शाहनपुर, नजीमाबाद, बिजनौर अपने छोटे खच्चर पर अधिक भार ढुलान कर रहा है। खच्चर पर एक व्यस्क के साथ 10-12 वर्ष का बच्चा भी बैठा मिला। अधिक भार ढुलान से खच्चर की तबीयत बिगड़ने की संभावना को देखते हुए पशु स्वामी के खिलाफ मौके पर ही कार्रवाई की गई। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि दोनों पशुपालकों के खिलाफ सोनप्रयाग कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
पानी की कमी और बर्फीला पानी पीने से भी हो रही मौतें
दरअसल, उच्च हिमालयी क्षेत्र में घोड़ा-खच्चर को सिर्फ गर्म पानी ही पिलाया जाता है। वहीं केदारनाथ जाने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। इतनी दूरी तय करने के लिए घोड़े-खच्चरों को रोजाना कम से कम 30 लीटर गर्म पानी पिलाया जाना जरूरी है। इस बार पैदल मार्ग के पड़ावों पर गीजर की व्यवस्था न होने से उनके लिए गर्म पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा। इससे शरीर में पानी की कमी होने से घोड़ा-खच्चर मौत हो रही है। बता दें कि पूर्व में पैदल मार्ग के पड़ावों पर प्रशासन की ओर से गर्म पानी के टैंक बनाए गए थे। लेकिन, रखरखाव न होने के कारण अब वह अनुपयोगी हो गए हैं, जिससे घोड़ा-खच्चर बिना पानी के ही या थोड़ा-बहुत बर्फीला पानी पीकर इतना लंबा सफर तय कर रहे हैं। इससे शरीर में पानी की कमी व असहनीय दर्द उनकी मौत का कारण बन रहा है। केवल पानी की कमी ही एक समस्या नहीं है, पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चर के लिए न तो पर्याप्त पौष्टिक आहार की व्यवस्था है, और न ही नियमित स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था है।
गौरीकुंड में तैनात की गई टीम
केदारनाथ पैदल मार्ग पर प्रतिदिन पांच से छह हजार घोड़ा-खच्चर की आवाजाही होती है। लगभग 40 प्रतिशत श्रद्धालु घोड़ा-खच्चर से ही केदारनाथ पहुंचते हैं। इसके अलावा सामान ढोने का कार्य भी घोड़ा-खच्चर से ही होता है। इस वर्ष यात्रा के लिए 8200 घोड़ा-खच्चर का पंजीकरण हुआ है। जबकि, बिना पंजीकरण के भी हजारों घोड़ा-खच्चर पैदल मार्ग पर आवाजाही कर रहे हैं। इन घोड़ा-खच्चर की देखरेख के लिए विभाग ने डा. राजीव गोयल और डॉ. दीपमणि गुप्ता के नेतृत्व में टीम गठित कर गौरीकुंड में तैनात कर दी गई है। टीम में पशुपालन विभाग के साथ पुलिस और सेक्टर मजिस्ट्रेट को भी शामिल किया गया है। यह टीम गौरीकुंड से केदारनाथ तक चरणबद्ध रेकी करते हुए कमजोर, बीमार घोड़े खच्चरों के संचालन के साथ ही जानवर पर ओवर वेट, बिना पंजीकरण व लाइसेंस के मामलों की पड़ताल कर कार्रवाई करेगी। बताया कि टीम से प्रतिदिन की रिपोर्ट मांगी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *