आज से पर्यटक कर सकेंगे फूलों की घाटी का दीदार

चमोली के जोशीमठ में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए आज बुधवार को  खोल दी गई है। जो 31 अक्तूबर तक खुली रहेगी। आज सुबह 7  बजे नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ नंद बल्लभ शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर 75 देशी-विदेशी पर्यटकों को फूलों की घाटी के लिए रवाना किया। इस बार घाटी में समय से फहले ही 12 से अधिक प्रजाति के फूल खिले हुए है। जिसका दीदार करने के लिए पर्यटक में खासा उत्साह बना हुआ है। घाटी को खोलने की तैयारी में पार्क प्रशासन एक महीने से तैयारियों में जुटा हुआ था। पार्क प्रशासन ने 4 किलोमीटर पैदल मार्ग की मरम्म्त के साथ रास्ते पर 2 पैदल पुल का निर्माण भी कर दिया है। जिसके बाद इस बार फूलों की घाटी की पैदल दूरी दो किमी कम हुई है।

दो किमी कम हुई पैदल दूरी

घांघरिया से फूलों की घाटी जाने वाला पैदल मार्ग वर्ष 2013 में आपदा से बामंणधौड़ में टूट गया था। तब इस मार्ग को खड़ी चढ़ाई में बनाकर यहां की दूरी दो किमी अधिक हो गई थी। इस बार फिर से पुराने पैदल मार्ग से ही रास्ता बना दिया गया है। जिससे दो किमी कम पैदल चलकर फूलों की घाटी में पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी में जाने के लिए शुल्क जमा करने के बाद दोपहर तक ही इजाजत है।

पांच सौ प्रजाति से अधिक फूल

फूलों की 500 से ज्यादा प्रजातियों को समेटे फूलों की घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में आती है। समुद्रतल से 3962 मीटर ऊंचाई पर यह घाटी 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है। घाटी में जून से अक्टूबर तक फूलों की महक फैली रहती है। फूलों की घाटी अगस्त सितंबर में तो फूलों से लगकद रहती है। खास बात तो यह है कि फूलों की घाटी में हर 15 दिनों में अलग प्रजाति के फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पापी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्मकमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहां खिले रहते हैं। यहां देखने के लिए सबसे खूबसूरत फूल ब्रह्म कमल है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है। इसके अलावा यहां पर तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिम तेंदुएं भी रहते है। फूलों की घाटी ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पति शास्त्री, फ्रैंक एस स्मिथ की 1931 में की हुई आकस्मिक खोज थी।

फूलों की घाटी ट्रेकिंग के लिए है मुफीद

फूलों की घाटी में 17 किलोमीटर लंबा ट्रेक है, जो 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित घांघरिया से शुरू होता है। जोशीमठ के पास एक छोटी सी बस्ती गोविंदघाट से ट्रेक के जरिये पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की ओर से ऑफलाइन माध्यम से अनुमति दी जाती है।

फूलों की घाटी में घूमने का सही समय

फूलों की घाटी में पर्यटक कई दिनों का टूर पैकेज लेकर घूमने आते हैं और कैंप लगाकर रहते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र ट्रेकिंग के लिए भी मशहूर है। यहां घूमने का सबसे अच्छा वक्त जुलाई से लेकर सितंबर के बीच माना जाता है। इस दौरान घाटी में फूलों की अनेक प्रजातियां देखने को मिलती हैं। वहीं खिले हुए फूलों को देखने का सबसे अच्छा समय अगस्त है। इस वक्त यहां चारों तरफ फूल ही फूल खिले रहते हैं। हालांकि, इस मौसम में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण इस क्षेत्र में जाना मुश्किल भी हो जाता है।

दो बजे के बाद घाटी घूमने की नहीं है अनुमति

फूलों की घाटी में पर्यटक कैंप लगाकर रहते हैं, लेकिन राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पर्यटकों को शिविर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है। ऐसे में पर्यटक इस घाटी के निकटतम कैंपिंग साइट पर ही कैंपिंग करते हैं। फूलों की घाटी का नजदीकी कैंपिंग साइट घांघरिया का सुरम्य गांव हैं। बता दें कि फूलों की घाटी से पर्यटकों को दो बजे बाद लौट कर बैस कैंप घाघरिया में पहुंचना जरूरी है।

संजीवनी बुटी लेने आये थे हनुमान

जन श्रुती के अनुसार रामायण काल में भगवान हनुमान जी संजीवनी बुटी लेने के लिए फूलों की घाटी आये थे। फूलों की इस घाटी को स्थानीय लोग परियों का निवास मानते हैं. यही कारण है कि लंबे समय तक लोग यहां जाने से कतराते थे। स्थानीय बोली में फूलों की घाटी को भ्यूंडारघाटी कहा जाता है। इसके अलावा, इस घाटी को गंधमादन, बैकुंठ, पुष्पावली, पुष्परसा, फ्रैंक स्माइथ घाटी आदि नामों से बुलाया जाता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में फूलों की घाटी को नंदनकानन कहा गया है। कालिदास ने अपनी पुस्तक मेघदूत में फूलों की घाटी को अलका कहां है।

यूनेस्को ने घोषित किया है विश्व धरोहर

उत्तराखंड के चमोली जिले में फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

कैसे पहुंचे और कब आएं फूलों की घाटी

फूलों की घाटी पहुंचने के लिए बदरीनाथ हाइवे से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से तीन किमी सड़क मार्ग से पुलना और 11 किमी की दूरी पैदल चलकर हेमकुंड यात्रा के बैस कैंप घांघरिया पहुंचा जा सकता है। यहां फूलों तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी में जाने के लिए पर्यटक को बैस कैंप घांघरिया से ही अपने साथ जरूरी खाने का सामान भी ले जाना पड़ता है। क्योंकि वहां पर दुकाने नहीं है।

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