Sawan: सावन का माह भगवान शिव का प्रिय महीना होता है. इस पूरे माह में शिव भक्त पूरे भक्ति-भाव से शिव की आराधना करते हैं, शिवरात्रि के दिन कांवड यात्री पवित्र नदियों के जल से शिव जी का अभिषेक करते हैं और इसके साथ ही कांवड़ यात्रा संपन्न होगी। वहीं ज़िला गाजियाबाद का दूधेश्वर नाथ मंदिर काफी प्राचीन और प्रचलित मंदिर है, इसी मंदिर में रावण के पिता विशेषवा ने कठोर तप किया था! मंदिर के महंत श्री नारायण महाराज से ख़ास बातचीत की संवाददाता प्रियंका रावल ने।
गाजियाबाद के सिद्ध पीठ दूधेश्वर नाथ मंदिर में भक्तों का ताता लगा हुआ है. यहां पर लाखों की संख्या में भक्त जलाभिषेक करने के लिए पहुंच रहे हैं, बड़े ही भक्तिमय माहौल में मंदिर के बाहर लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। महंत नारायण गिरी ने बताया कि, “2 अगस्त को सावन शिवरात्रि का जल दुपहर 3.30 बजे से चढ़ना शुरू होगा, उससे पहले त्रयोदशी का जल पहले ही चढ़ेगा. हजारों की संख्या में कावड़ींया दूधेश्वर नाथ मंदिर में हाजरी का जल चढाएंगे. कांवड़ियों को कोई दिक्कत ना हो, इसलिए गुरूवार से मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खोल दिए गये ।
गाजियाबाद के दूधेश्वर सिद्ध पीठ मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर श्री नारायण गिरी ने बताया कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. उनके अनुसार, रावण और उनके पिता यहां गुप्त रास्ते से आकर पूजा करते थे, वह रास्ता आज भी मंदिर में मौजूद है और एक अन्य रास्ता गढ़ मुक्तेश्वर के तरफ जाकर खुलता था. प्राचीन काल में यहां पीपल का पेड़ भी था, जहां स्वयं ही दूध बहा करता था. श्री नारायण गिरी ने आगे बताया कि यहां पर बाद में स्वयंभू शिवलिंग भी प्रकट हुआ था.
इस पवित्र जगह पर लाखों की संख्या में कावड़ और श्रद्धालु जल चढ़ा रहे हैं. देर शाम तक चतुर्दशी का जल चढ़ाने का कार्यक्रम चलेगा और भक्तों की संख्या 10 लाख के आसपास पहुंचने की संभावना है.