Headphone: हेडफ़ोन का लगातार बढ़ता इस्तेमाल लोगों की हेल्थ या खास तौर पर सुनने की क्षमता पर असर डाल रहा है। डॉक्टरों ने लंबे वक्त तक और तेज़ आवाज़ वाले हेडफ़ोन के इस्तेमाल से जुड़े संभावित खतरों के बारे में आगाह किया है।
मैक्स अस्पताल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. अनिल धर ने बताया कि “हमारे कान के अंदरूनी हिस्से में कुछ हेयर सेल्स होते हैं। इसलिए खास तौर पर उन हेयर सेल्स का काम उन संकेतों को ट्रांसमिट करना है जो ध्वनि के रूप में होते हैं। इसलिए जब हमें हाई डेसीबल साउंड मिलती है तो ये हमारे हेयर सेल्स पर असर डालती है और इसलिए सुनने में परेशानी होने लगती है।”
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक, 85 डेसिबल से ज्यादा साउंड लेवल के संपर्क में लंबे समय तक रहने से कान को नुकसान हो सकता है। पर्सनली यूज वाले हेड फोन या इयर बड्स अक्सर 105-110 डेसिबल तक की साउंड तक पहुंच जाते हैं, जो कुछ ही मिनटों में नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक्सपर्टों ने छोटे बच्चों के माता पिता को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को ज्यादा साउंड की वजह से होने वाले खतरे से बचाएं।
ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बलबीर सिंह गांधी ने बताया कि “हम ऐसे बहुत से मरीजों को देखते हैं जो नियमित रूप से इयरफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उम्र अलग-अलग हो सकती है, आप जानते हैं, 10 साल के बच्चों को बहुत कम उम्र में इयरफोन मिलना शुरू हो गया है। इसलिए वे म्यूजिक सुन रहे हैं। अगर आप लगातार इयरफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें कान में समस्या हो रही है तो ये कान के स्ट्रक्चर पर असर डाल सकते हैं, अगर आप लगातार इयर कनाल, इयर पॉड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये आपके कान के शेप को प्रभावित कर सकता है।”
हेडफोन की सुविधा और इसकी बढ़ती लोकप्रियता के बीच हमें इसके खतरों को भी समझने की जरूरत है।जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढती जा रही है, वैसे-वैसे हमारे म्यूजिक का आनंद लेने और कम्यूनिकेशन करने के तरीके भी डेवलेप होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें अपनी आदतों पर ध्यान देने और हद से ज्यादा हेडफोन और इयर बड्स को अपने कान में लगाने से बचना चाहिए ताकि आपके सुनने की क्षमता पर असर ना पड़े।