Bangladesh: पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं शेख हसीना, आधिकारिक घोषणा बाकी

Bangladesh: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आम चुनावों में लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज की, उनकी पार्टी अवामी लीग ने हिंसा की छिटपुट घटनाओं और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों के बहिष्कार के बीच हुए चुनावों में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया, हसीना की पार्टी ने 300 सदस्यीय संसद में 200 सीट पर जीत दर्ज की।

चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि ”हम अब तक के परिणामों के आधार पर अवामी लीग को विजेता कह सकते हैं, लेकिन बाकी निर्वाचन क्षेत्रों में मतगणना खत्म होने के बाद अंतिम घोषणा की जाएगी।” हसीना ने गोपालगंज-थ्री संसदीय सीट पर फिर से शानदार जीत दर्ज की। उन्हें 2,49,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम. निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 वोट ही मिले, बांग्लादेश में साल 2009 से 76 साल की शेख हसीना के हाथों में सत्ता की बागडोर है, शेख हसीना लगातार पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं।

इसके साथ ही अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादिर ने दावा किया कि लोगों ने मतदान कर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के चुनाव बहिष्कार को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ”मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने 12वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों में मतदान करने के लिए बर्बरता, आगजनी और आतंकवाद के खौफ का मुकाबला किया।” जातीय पार्टी के अध्यक्ष जी. एम. कादिर ने चुनावों में रंगपुर-थ्री सीट पर जीत दर्ज की।

तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने बताया कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक, मतदान लगभग 40 प्रतिशत था, लेकिन इस आंकड़े में बदलाव आ सकता है। साल 2018 के आम चुनाव में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। चुनाव में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण मतदान होने के बावजूद, अधिकारियों और मीडिया ने शुक्रवार देर रात से देश भर में कम से कम 18 जगहों पर आगजनी की घटनाओं की खबर दी, जिनमें से 10 में मतदान केंद्रों को निशाना बनाया गया।

बता दें कि बांग्लादेश के निर्वाचन आयोग के अनुसार, 42,000 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ, चुनाव में 27 राजनैतिक दलों के 1,500 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे और उनके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी किस्मत आजमाई। भारत के तीन पर्यवेक्षकों समेत 100 से ज्यादा विदेशी पर्यवेक्षकों की निगरानी में 12वें आम चुनाव संपन्न हुए, मतदान के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के 7.5 लाख से ज्यादा कर्मी तैनात किए गए थे।

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