Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक, संस्कृत को फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश हो रही है। जम्मू के एक एनजीओ ने ‘एजुकेशन ऑन व्हील्स’ कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत संस्कृत को क्षेत्र के दूर दराज के इलाकों तक ले जाया जाएगा।
गैर सरकारी संस्था ने श्री कैलाख ज्योतिष के साथ मिलकर पिछले साल नवंबर में “मोबाइल संस्कृत गुरुकुल” शुरू किया था। संगठन का मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल वैन के माध्यम से संस्कृत भाषा के बारे में ज्ञान और जागरूकता को बढ़ावा देना है।
इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को संस्कृत सीखने के लिए आवश्यक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। जिले के भलवाल गांव के लोगों और खास तौर पर स्कूली बच्चों ने संस्कृत भाषा सीखने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। ‘एजुकेशन ऑन व्हील्स’ कार्यक्रम ने एक वर्ष पूरा कर लिया है, और आयोजकों के मुताबिक इस पहल से लगभग पांच हजार छात्रों को फायदा हुआ है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने कहा कि “यह चलत मोबाइल संस्कृत गुरुकुल है। ये एक गाड़ी है इसमें अध्यापक रहते हैं और गांवों और शहरों में घर-घर जाकर संस्कृत पढ़ाते हैं। संस्कृत भाषा को लोग सीखें इसी उद्देश्य से इसको हमने शुरू किया है। ये विश्व का पहला चलत मोबाइल संस्कृत गुरुकुल है। गांव में सीमांत इलाकों में, शहरों में हमने क्लासेस चलाई हैं और चल रही हैं।”
इसके साथ ही छात्राओं ने कहा कि “आज हमने बहुत कुछ सीखा।हमारा भविष्य अगर संस्कृत में है तो वो बहुत ही अच्छा है। हमने आज बहुत सीखा है। जैसे हम बोलते हैं आपका नाम क्या है तो हमने ये संस्कृत में सीखा। अभी जो काफी शब्द थे उनको इंग्लिश में ट्रांसलेट कर दिया गया है। जिसकी वजह से जो काफी पुरानी चीजें हैं हमें वो देखने को नहीं मिलती हैं, समझने को नहीं मिलती। इसलिए हम संस्कृत पढ़ेंगे तो इसका भविष्य तो उज्जवल होगा। जैसे मोबाइल संस्कृत इन लोगों ने शुरू किया है इससे भी कई लोग सीखेंगे और इससे भविष्य इसमें उज्जवल हो जाएगा और इसमें हमारे पवित्र ग्रंथ हैं उनको भी पढ़ने में मदद मिलेगी।”
स्कूल प्रिंसिपल ने बताया कि “हमारी कोशिश थी कि हम अपना कल्चर जो संस्कृत से जुड़ा हुआ है उसको आगे बढ़ाएं। क्योंकि कल्चर बिना रूट्स के आगे नहीं बढ़ सकता। भारत की असली भाषा संस्कृत थी। भले ही और भी भाषाएं हैं लेकिन उसमें अहम भाषा संस्कृत थी।”