Politics: विधानसभा चुनाव को लेकर अलवर में पानी की कमी बना अहम मुद्दा

Politics: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान नजदीक आने के साथ ही राज्य के पूर्वी जिलों में पानी की समस्या सबका ध्यान खींच रही है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने जनता से वोट हासिल करने के लिए पानी की कमी और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का मुद्दा उठाया है।

ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग पर जोर दे रही कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वो जानबूझकर इसे नजरअंदाज कर रही है। पार्टी ने लोगों से ये भी वादा किया है कि वो अलवर में ईआरसीपी के जरिए पानी की सप्लाई लाएगी। हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया और कांग्रेस पर झूठ बोलने और राजस्थान में पूर्वी नहर परियोजना को लागू करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।

ईआरसीपी एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे मूल रूप से राजस्थान की पिछली बीजेपी सरकार ने प्रस्तावित किया गया था, इसका मकसद इलाके के 13 जिलों में रहने वाले लोगों की सिंचाई और पेयजल समस्याओं का स्थाई समाधान करना था। राज्य में चुनाव नजदीक आने के साथ, राजनैतिक दलों ने इस मुद्दे को एक बार फिर पूरे जोर से उठाया है। इनके निशाने पर इलाके 83 सीटें हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि “हमारे यहां पर एक तरह से बिल्कुल सूखा है, बारिश पिछले 30-40 साल से कम है और जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। ईआरसीपी बहुत ज़रूरी है और हम यहां से करीब 15-20 साल से मांग चल रहे हैं किसानों की ईआरसीपी आनी चाहिए और सरकारें हर बार वोट लेती है ईआरसीपी के नाम से किसानो को बरगला के वोट लेती हैं।”

बीजेपी प्रत्याशी जयराम जाटव ने कहा कि “नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के ऊपर यह आरोप है कि वह हमको ईआरसीपी के लिए पैसे नहीं दे रहे हैं, जब की केंद्र सरकार का कोई दोष नहीं था इसमें भाई डीपीआर भेजो डिमांड भेजो। इसके साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी टीकाराम जूली ने कहा कि हमारा जो ईआरसीपी योजना है इसके अंदर मेरी विधान सभा जो है मैंने जुडवाई है सेकंड फेज के अंंदर उसका काम है।

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