रिपोर्ट उपेन्द्र सिंह राणा
चमोली: जोशीमठ चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. चीन सीमा से सटे इस इलाके में लगातार भू-धंसाव हो रहा है. जिसके चलते स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. यहां 500 घरों में दरारें पड़ गई हैं, लोग डरे हुए हैं. हाल ये है कि लोग अपने घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब राज्य सरकार ने शहर को भू-धंसाव से बचाने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए सिंचाई विभाग को ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर बनाने को कहा गया है.
जोशीमठ का कराया था भूगर्भीय सर्वेक्षण
सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं। जोशीमठ पर मंडराते संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी साल वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था। सितंबर में वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। टीम की रिपोर्ट में भू धंसाव का कारण पानी की निकासी न होना और ज्यादा निर्माण बताया गया था वहीँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि मामले में जांच चल रही है और इसमें रिसर्च करने वाले संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट से लेकर तमाम इंस्टिट्यूट इस पर आकलन कर रहे हैं उसी के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी.
वैज्ञानिकों ने दिए थे ये सुझाव-
वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज और सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाए।
नदी से हो रहे भू-कटाव को रोका जाना चाहिए।
निचली ढलानों पर रह रहे परिवारों का विस्थापन होना चाहिए।
बड़ी संरचनाएं क्षेत्र के लिए खतरा हो सकती हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए।
जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद शुरू