विनय भट्ट
श्रीनगर। प्राचीन कमलेश्वर मंदिर में आगामी 6 नवम्बर को खड़ा दिया अनुष्ठान किया जाएगा। अनुष्ठान वेदली बेला से शुरू होकर सुबह तक चलेगा। अनुष्ठान में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों से अभी तक 119 निसंतान दंपति अपना पंजीकरण करा चुके हैं। खड़ा दिया अनुष्ठान को लेकर मंदिर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही मंदिर को सजाने और संवारने का काम किया जा रहा है।
श्रीनगर कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि इस साल आयोजित होने वाली पूजा को भव्य रूप दिय जाएगा। क्योंकि बीते दो साल कोरोना महामारी के चलते आयोजन सीमित हुआ था, लेकिन इस बार अनुष्ठान की भव्यता देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए देश भर से अभी तक 119 निसंतान दंपतियों ने पंजीकरण करा दिया है।
रात भर हाथ में दीया रखकर किया जाता है अनुष्ठान
माना जाता है कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन जो भी निसंतान दंपत्ति सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है उसे संतान की प्राप्ति होती है। इस दौरान निसंतान दंपत्ति खड़ा दीया का अनुष्ठान करते है, इससे उन्हें मनचाहा फल मिलता हैं। इस पूजा में रात भर दंपतियों को हाथ में जलता हुआ दीया रख कर भगवान शिव की पूजा करनी होती है, जिसे खड़े दीये का अनुष्ठान कहा जाता है।
यहां भगवान विष्णु ने की थी भगवान शिव की आराधना
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति के लिए कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी। इस दौरान व्रत के अनुसार भगवान विष्णु को 100 कमलों को शिव आराधना के दौरान शिव लिंग पर चढ़ाना था, लेकिन तब भगवान शिव ने भक्ति की परीक्षा लेने के लिए 99 कमलों के बाद एक कमल छुपा दिया, जिसके बाद कमल अर्पण करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने नेत्र को चढ़ा दिया और इसके बाद से ही भगवान विष्णु के नेत्रों को कमल नयन कहा जाता है।