नमिता बिष्ट
पर्यटन के लिए विश्वविख्यात सरोवर नगरी नैनीताल भारत के टॉप हिल स्टेशनों में से एक हिल स्टेशन है। यहां हर साल सैलानियों का आवागमन लगा रहता है। अपनी सुंदर झील के लिए यह शहर विश्व भर में जाना जाता है। यही वजह है कि नैनीताल के समीपवर्ती क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के तहत जिले के पास स्थित भवाली में अब एक म्यूजियम तैयार किया जा रहा है। जो कभी कुमाऊं की सबसे दानी महिला जसूली देवी की धर्मशाला हुआ करती थी।
धर्मशाला का नवीनीकरण कर बनाया जा रहा म्यूजियम
बता दें कि जहां पर म्यूजियम तैयार किया जा रहा है। उस जगह पर एक धर्मशाला थी, जो काफी साल पुरानी थी। समय के साथ ही उसकी हालत काफी खराब हो गई थी और उस क्षेत्र पर कुछ लोगों का कब्जा भी हो गया था। उस धर्मशाला को दानवीर जसूली देवी शौक्याणी ने बनवाया था। उसका नवीनीकरण कर उसको एक म्यूजियम में बदला जा रहा है।
कुमाऊंनी शैली में किया जा रहा तैयार
खास बात यह है कि म्यूजियम के निर्माण के लिए अल्मोड़ा से लाए गए पारंपरिक पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उसे पूरा कुमाऊंनी शैली में तैयार किया जा रहा है। जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र तो बनेगा ही, साथ ही इसमें उत्तराखंड के इतिहास से जुड़े सामान, औजार और अन्य चीजें भी देखने को मिलेंगी।
जानें कौन थीं जसूली देवी शौक्याणी
बता दें कि जसूली देवी शौक्याणी दारमा घाटी की एक प्रसिद्ध महिला व्यापारी थीं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वह काफी अमीर और दानवीर थीं। साल 1870 से 1880 के बीच उन्होंने कई जगहों पर करीब 350 धर्मशालाओं का निर्माण कराया था। जिनमें कई भवन खंडहर हो चुके हैं, तो कुछ की हालत अभी फिलहाल ठीक है। नैनीताल, भवाली, अल्मोड़ा में इनकी बनाई हुई धर्मशालाएं आज भी देखने को मिल जाएंगी।
टीवी सैनिटोरियम से है इस जगह की पहचान
भवाली समुद्र तल से 1706 मीटर ऊंचाई और नैनीताल से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान नैनीताल को नजदीकी पर्यटक स्थलों से जोडने हेतु एक जंक्शन का कार्य करता है। बता दें कि भवाली अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पहाडी फल मण्डी के रूप में जाना जाता है। भवाली की पहचान यहॉ पर स्थित टीवी सैनिटोरियम से भी होती है, जिसे 1912 में खोला गया था।