जोशीमठ। 15200 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब में हेलीपैड बनकर तैयार हो गया है। इस हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर लेंडिग का ट्रायल भी हो गया है जो कि सफल रहा। यह उत्तराखंड का सबसे ऊंचा हेलीपैड है, जिसका प्रयोग केवल राहत और बचाव कार्य के लिए किया जाएगा।
आपतकाल में होगा उपयोग
बता दें कि हेमकुंड सहिब के 15 किमी पैदल मार्ग पर गुरुद्वारे से 2 किलोमीटर नीचे अटलाकुड़ी के पास लोक निर्माण विभाग द्वारा हेलीपैड का निर्माण किया गया है। हेमकुंड साहिब पैदल मार्ग पर गोविन्दघाट व काजिला के बाद यह तीसरा हैलीपैड है, जहां पर हेलीकॉप्टर लेंडिग कर पायेगा। इसे हेलीपैड को आपतकाल के तौर पर उपयोग में लाया जायेगा। इस हेलीपैड के बनने से जो बीमार और बुजुर्ग श्रद्धालु बारिश, बर्फबारी में 6 किलोमीटर के लंबे ट्रैक पर फंस जाते हैं, उन्हें उसी समय हेलीकॉप्टर द्वारा रेस्क्यू किया जाएगा।
स्थानीयों द्वारा किया गया विरोध
हेमकुंड साहिब के आस्था पथ पर अटलाकुड़ी में हेलीपैड निर्माण को लेकर स्थानीय स्तर पर इसका विरोध हुआ। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने इस हेलीपैड को आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील बताया है। उनका कहना है कि 15,200 फीट की ऊंचाई पर हेमकुंड साहिब स्थित है और यहां पर हेलीपैड बनाना ठीक नहीं है। उनका कहना है कि हेलीपैड निर्माण से यहां के पर्यावरण, वन्यजीव को खतरा हो जाएगा। क्योंकि इन इलाकों में अधिक दुर्लभ जीव जंतु रहते हैं। साथ ही अटलाकुड़ी एक ग्लेशियर पॉइंट भी है। हेलीकॉप्टर की आवाजाही से ही यहां प्रकृति के साथ छेड़छाड़ भी हो सकती है। साथ ही यह आपदा का कारण भी बन सकता है।