जलवायु परिवर्तन का असर, समय से पहले खिलने लगा बुरांश, भविष्य के लिए खतरे के संकेत!

लक्ष्मण सिंह नेगी              

ऊखीमठ। जलवायु परिवर्तन का असर उत्तराखंड के वनस्पतियों पर भी दिखने लगा है। अब तय समय से पहले फूल खिलने लगे हैं। साथ ही उनके रंग और खुशबू में भी अंतर दिखाई देने लगा है। जलवायु परिवर्तन का ही कारण है कि राज्य वृक्ष बुरांश के फूल तय समय से पहले ही खिलने लगे हैं, जिससे पर्यावरणविद खासे चिन्तित है।

दरअसल, केदार घाटी के अधिकांश इलाकों में बुरांस निर्धारित समय से दो माह पहले ही खिलने लगा है। बुरांस के निर्धारित समय से पहले खिलना जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है। बता दें कि  अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध राज्य वृक्ष बुरांश के फूल 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच खिलते हैं। वहीं एक दशक पूर्व की बात करें तो महाशिवरात्रि पर्व पर कुछ इलाकों में बुरांस का पुष्प खिलता है लेकिन जनवरी माह के तीसरे सप्ताह में राज्य पुष्प बुरांस के खिलने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित है। उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन से हो रहा यह बदलाव भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष

आपको बता दें कि, बुरांस (रोडोडेंड्रोन), उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। राज्य में बुरांस की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो ऊंचाई और स्थान के हिसाब से अलग-अलग होती हैं। आमतौर पर बुरांस लाल, गुलाबी और सफेद रंग के देखने को मिलते हैं। जिसमें लाल रंग के बुरांस का उपयोग ज्यादा किया जाता है। बुरांस में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसका जूस और शरबत बेहतर पेय पदार्थ में शामिल है। बुरांस का जूस दिल से लेकर लिवर को स्व स्थत रखता है, जबकि, पहाड़ों में बुरांस आय का जरिया भी माना जाता है।  कई लोग बुरांस के जूस बेचकर से अपनी आजीविका भी चलाते हैं।

बुरांस के जूस के फायदे

  • विशेषज्ञों की मानें तो बुरांस का जूस हृदय संबंधी बीमारियों से बचाता है
  • खून की कमी को दूर करता है
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है
  • उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर में काफी लाभदायक होता है
  • लीवर संबंधी बीमारियों को दूर करता है
  • बुरांस एंटी ऑक्सीडेंट की पूर्ति भी करता है

 

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