उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस की तलाश जारी

योगेश सेमवाल

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं, सरकार बन चुकी है और मंत्रिमंडल भी तैयार हो चुका है, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही सभी मंत्रियों ने भी अपने अपने विभागों की समीक्षा बैठक भी ले ली है। वहीं जब विपक्ष की बात करते हैं तो इसमें एक ही नाम सामने आते है वो है कांग्रेस। कांग्रेस इस बार 19 विधायकों के साथ विपक्ष में एक बार फिरसे मौजूद है, लेकिन अभी तक ना कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष का नाम फाइनल लिया है ना ही अध्यक्ष का।

कहते हैं किसी भी प्रदेश को आगे बढ़ाने में जितनी भूमिका प्रदेश सरकार की होती है उतनी ही एक मुख्य विपक्षी दल की भी होती है। क्योंकि मुख्य विपक्षी दल हमेशा सरकार को गलत सही का एहसास दिलाता रहता है और जब हम उत्तराखंड की बात करते हैं तो यहां पर मुख्य विपक्षी दल है की अभी तक अपने आप को ही मजबूत नहीं कर पाया है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और हार के साथ ही एक बार फिर से कांग्रेस को विपक्ष में जनता ने पहुंचा दिया। लेकिन हार के बाद कांग्रेस को जो मंथन करना था वो शायद उसे करने में इतनी व्यस्त हो गई की अभी तक ना कांग्रेस के अध्यक्ष का नाम फाइनल हो पाया है ना ही विपक्ष के नेता का। विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद जहां सरकार ने अपना पहला विधानसभा सत्र तक पूरा कर दिया, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष तक का चुनाव नहीं कर पाई और चुनाव के कुछ समय बाद ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद गणेश गोदियाल का इस्तीफा मांग लिया गया और अब नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसकी होगी यह भी कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है। इसको लेकर जहां कांग्रेस अभी भी रटा रटाया जवाब दे रही है की हाई कमान जल्द तय कर देगा की कौन नेता प्रतिपक्ष होगा और कौन अध्यक्ष। तो भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने तंज कसते हुए कहा कि यह कांग्रेस की हमेशा से परेशानी रही है वो अपनी बातों को ठिक करने में ध्यान देते नहीं और हमारा जो सही चल रहा है उसपर बोलते हैं।

जहां कांग्रेस अभी तक अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है तो दूसरी तरफ कुछ समय पहले कांग्रेस ने एक समीक्षा बैठक भी की। इस बैठक में प्रदेश से उन विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुलाया गया जिन विधानसभाओं में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और इसकी जिम्मेदारी दी गई। कांग्रेस के वरिष्ठ केंद्रीय नेता अविनाश पांडे ने लंबी बैठक ली लेकिन उस बैठक के बाद अब कांग्रेस के अंदर ही कई कार्यकर्ता यह सवाल खड़े करने लगे हैं की जब स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष खुद अविनाश पांडे थे और अब वो खुद हार की समीक्षा कर रहे हैं तो क्या वो समीक्षा सही से करेंगे? जब यह बात कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता से पुछी गई तो उन्होंने भी यही कहा की इस बात को कई लोग उठा रहे हैं की जो व्यक्ति टिकट बंटवारे में शामिल थे क्या वो सही से समीक्षा करेंगे?

कांग्रेस के लिए चुनौतियां खत्म नहीं हुई है आने वाले दिनों में ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम और नगर निकायों के चुनाव होने हैं, ऐसे में अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कि जिम्मेदारी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। लेकिन कांग्रेस शायद अभी तक हार की वजहों में ही खोई हुई है।

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