कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस: धाम में उमड़ रहा आस्था का सैलाब, जानिए चमत्कारी धाम और बाबा नीम करोली के बारे में

हिमालय की तलहटी में बसा नैनीताल जिले से करीब 65 किमी दूर कैंची धाम या नीम करोली बाबा आश्रम श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यह आश्रम एकदम शांत, साफ-सुथरी जगह, हरियाली, सुकून समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है। यह आश्रम बाबा नीम करोली महाराज जी को समर्पण है। मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यही वजह है कि देश–विदेश से लाखों श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते हैं। आज यानी 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस है। इस मौके पर आज कैंची धाम में भव्य मेले का आयोजन हो रहा है। कोरोना के 2 साल बाद कैंची धाम स्थापना दिवस के मौके पर मेले का आयोजन हो रहा है। इस मेले में आज सुबह से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं।

कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस

दो साल बाद आयोजित हो रहे कैंची धाम स्थापना दिवस मेले में इस बार डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। इस बार कैंची धाम का 58वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। भंडारे और मेले के लिए पुलिस प्रशासन सहित मंदिर समिति ने तैयारियां पूरी हैं। मेले के दिन मालपुओं का प्रसाद बांटा जाएगा जिसके लिए मंदिर में करीब 8 से 10 छोटे-बड़े गैस के भट्ठे लगाए गए हैं। इससे पहले तक लकड़ी के चूल्हों पर मालपुआ बनाए जाते थे। आज सुबह बाबा नीम करौली को भोग लगाने के बाद मालपुओं को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

कैंची धाम में बदल जाती है किस्मत

ऐसी मान्यता है कि कैंची धाम में किस्मत बदलने वाले बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कैंची धाम की लोकप्रियता तबसे बढ़ने लगी, जब फेसबुक कंपनी के सह संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस मन्दिर से उन्हें प्रेरणा मिली। इतना ही नहीं, इस मन्दिर से एप्पल के संस्थापक स्टीब जॉब्स भी अपनी तकदीर बनाने की बात कह चुके हैं। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं। ये लोग कैंची धाम आश्रम भी आ चुके हैं। वैसे तो कैंची धाम में हर साल देश भर के भक्तों का तांता तो लगता ही है मगर विदेशी श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का विशेष केंद्र है।

नीम करोली बाबा

हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजे जाने वाले बाबा नीम करोली हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। उनको मानने वाले उन्हें हनुमान जी का ही अवतार मानते थे। उत्तराखंड में नीम करोली या नीब करौरी बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर दूर कैंची धाम आश्रम की स्थापना बाबा ने 1964 में की थी। 1961 में वे यहां पहली बार पहुंचे थे और अपने एक मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम बनाने का विचार किया था। केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बाबा के चमत्कारों की चर्चा होती है।

इस युग के दिव्य पुरुषों में से एक हैं बाबा

कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था। हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए। मान्यता है कि बाबा नीम करोली को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। एकदम आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा नीम करोली तो अपना पैर भी छूने नहीं देते थे। ऐसा करने वालों को वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। उन्हें इस युग के दिव्य पुरुषों में से एक माना जाता है।

मिरेकल ऑफ लव‘ में बाबा के चमत्कारों का वर्णन 

बाबा नीम करोली के इस पावन धाम को लेकर कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं। एक जनश्रुति ये है कि भंडारे के दौरान एक बार घी की कमी पड़ गई थी, तब बाबा के आदेश पर नीचे बह रही नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। प्रसाद के लिए जब इस्तेमाल किया गया तो जल घी में बदल चुका था। एक और जनश्रुति है कि बाबा ने कड़ी धूप में अपने एक भक्त के लिए बादल की छतरी बनाकर उसे मंजिल तक पहुंचाया था। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने ‘मिरेकल ऑफ लव’ नाम से बाबा पर लिखी पुस्तक में उनके चमत्कारों का वर्णन किया है।

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