Lucknow: मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का किया समर्थन, लेकिन इनके लिए कोटे के लिए रखी मांग

Lucknow:  बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने आज महिला आरक्षण विधेयक पर बयाँ देते हुए कहा कि उनकी पार्टी संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण के विधेयक का समर्थन करेगी लेकिन एससी/एसटी, ओबीसी को इसमें अलग कोटा मिलना चाहिए।

मायावती ने कहा “हमारी पार्टी को पूरी उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार ये महिला आरक्षण बिल जरूर पास हो जाएगा। जो ये अभी तक लंबे अरसे से लटका हुआ था और इस संदर्भ में मैंने अपनी पार्टी की ओर से एक बार नहीं बल्कि अनेकों बार संसद में ये कहा था कि हमारी पार्टी तो ये चाहती है कि देश की महिलाओं को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण 33 प्रतिशत देने की बजाए यदि उनके आबादी को भी ध्यान में रखकर 50 परशेंट आरक्षण दिया जाता है तो इसका भी हमारी पार्टी पूरे तहे दिल से स्वागत करेगी।”

उन्होंने कहा कि “ये बिल वर्तमान स्थिति में ऐसे ही पास किया जाता है तो फिर हमारी पार्टी ये मानकर चलेगी कि इस मामले में भी बीजेपी व कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी के लोगों की जातिवादी मानसिकता अभी भी नहीं बदली है और ये पार्टियां अभी भी वर्गों को पिछड़ा बनाए रखना चाहती हैं।”

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मायावती ने कहा कि “हमारी पार्टी को पूरी उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार ये महिला आरक्षण बिल जरूर पास हो जाएगा। जो ये अभी तक लंबे अरसे से लटका हुआ था और इस संदर्भ में मैंने अपनी पार्टी की ओर से एक बार नहीं बल्कि अनेकों बार संसद में ये कहा था कि हमारी पार्टी तो ये चाहती है कि देश की महिलाओं को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण 33 प्रतिशत देने की बजाए यदि उनके आबादी को भी ध्यान में रखकर 50 परशेंट आरक्षण दिया जाता है तो इसका भी हमारी पार्टी पूरे तहे दिल से स्वागत करेगी। सरकार इसके बारे में जरूर सोच विचार करें। लेकिन इसके साथ-साथ ये भी कहा था कि महिलाओं को जो भी आरक्षण दिया जाता है तो उसमें से एससी-एसटी, ओबीसी वर्गों की महिलाओं का आरक्षण का कोटा अलग से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अर्थात इन्हें यानि की एससी व एसटी को अबतक मिल रहे कोटे में शामिल न किया जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है और ये बिल वर्तमान स्थिति में ऐसे ही पास किया जाता है तो फिर हमारी पार्टी ये मानकर चलेगी कि इस मामले में भी बीजेपी व कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी के लोगों की जातिवादी मानसिकता अभी भी नहीं बदली है और ये पार्टियां अभी भी वर्गों को पिछड़ा बनाए रखना चाहती हैं।”

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