Delhi: बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अपने चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील अशोक अग्रवाल की दी गई रिपोर्ट पर विचार किया और जिन्होंने इन स्कूलों का दौरा किया और “टूटी हुई डेस्क”,कक्षाओं की गंभीर कमी” के साथ-साथ पुस्तकों की कमी का जिक्र किया।
इस दौरान बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की सच्चाई उजागर कर दी है, जिन्हें एएपी सरकार विश्वस्तरीय बता रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर-पूर्वी जिले के सरकारी स्कूलों में खराब हालात के लिए शहर के शिक्षा विभाग की खिंचाई की और निर्देश दिया कि चूक के लिए संबंधित अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए।
मनोज तिवारी ने कहा कि यह जानकारी अब इसलिए सामने आ रही है क्योंकि मौजूदा शिक्षा मंत्री आतिशी इसे ‘लीक’ कर रही हैं। उन्होंने कहा कि “एक क्लास में 144 बच्चे ये दुनिया की सबसे निम्नस्तरीय शिक्षा व्यवस्था है। मेरा मानना है कि ऐसी व्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन हैं? ऐसी व्यवस्था का जिम्मेदार वो लोग हैं जो शिक्षा के मामले में ऐसे-ऐसे दावे करते रहे कि सुनने वाले को लगता है कि पता नहीं किस लोक से ये शिक्षा व्यवस्था आई है और आज अब ये जानकारी आई है जब माननीय कोर्ट ने फटकार लगाई है और मैं एक बात का और आचार्य कर रहा हूं कि अभी यह जानकारी क्यों आनी शुरू हुई पहले क्यों नहीं आती थी?
इसके साथ ही मनोज तिवारी ने शायद मुझे इसमें भी कहीं आम आदमी पार्टी के अंदर के जो झगड़े हैं वो सामने दिख रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है जो वर्तमान शिक्षा मंत्री हैं वहीं सारी जानकारी दे रहीं हैं। अब तक इसको छुपाया जाता था। इस पर इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता तो क्या उसी गुस्से में तो आतिशी जी ने ये सारी जानकारियां देनी शुरू की हैं। क्योंकि कल शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि हां हमसे गलतियां हुईं हैं इस पहले तो वो कहते ही नहीं थे। पहली बार वो कहे हैं कि हां हम जल्दी से बच्चों को और जगह शिफ्ट करेंगे कहां करेंगे बरगद के पेड़ के नीचे, कहां शिफ्ट करेंगे? हम लोग सुनते हैं कि हमारे देश के लोग पेड़ के नीचे पढ़कर के पीपल के पेड़ के नीचे, बरगद के पेड़ के नीचे आए। तो क्या दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था इसीलिए आई थी। आज एक दिन में कहां शिफ्ट करे देंगे? जब कोर्ट ने फटकार लगाई है हमें इसको गली-गली तक लेकर जाना है क्योंकि ये जो इनके दिखाने के दांत कुछ और हैं और खाने के दांत कुछ और हैं दिल्ली सरकार के और इस नाते हम उनकी घोर निंदा भी करते हैं दिल्ली के बच्चों का भविष्य कैसे सुधरे उसके लिए अब जरूरी है कि इसमें कोई कड़ा कदम उठाना चाहिए। हम ऐसे भ्रष्ट लोगों के जिम्मे दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को नहीं छोड़ सकते।”