Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का सनातन धर्म को लेकर बड़ा बयान

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश में अनेक संप्रदाय हैं, लेकिन हमारा धर्म एक है।

मोहन भागवत ने असम के माजुली में उत्तरी कमला बारी सत्र में ‘पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन’ में कहा कि “हम सब लोग अलग-अलग परंपराओं के उपासक या वाहक होने के बावजूद भी एक सनातन प्रवाह में चलते हैं। हमारे भारतवर्ष में जितने विचार हैं, सबका दर्शन अलग-अलग है, रीति-नीति अलग-अलग है, लेकिन उनकी समान बात ये है कि वो सब लोग ये विश्वास करते हैं कि अपने-अपने रास्ते से चलने पर हम सब लोग एक ही जगह पहुंचने वाले हैं। हमारे यहां रास्ते अनेक हैं, लेकिन हम सब एक ही परंपरा के लोग हैं। हमारे देश में सब अनेक हैं, लेकिन हमारा देश एक है, हमारा राष्ट्र एक है। संप्रदाय के हमारे रास्ते अनेक हैं, लेकिन जिसे हम धर्म कहते हैं वो सबका एक है और वो मानव धर्म नहीं, सनातन धर्म ही है।”

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारत को पूरी दुनिया को शांति और सह-अस्तित्व का संदेश देने के लिए मजबूती से खड़ा होना होगा। इसके साथ ही कहा कि लोगों को सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के माध्यम से समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

दिन भर चले सम्मेलन में असम के 48 सत्रों और पूरे पूर्वोत्तर राज्यों के 37 अलग-अलग धार्मिक संस्थानों और संप्रदायों से जुड़े कुल 104 आध्यात्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग आध्यात्मिक परंपराओं और समुदायों के बीच समन्वय और सद्भावना को आगे बढ़ाना था।

बता दे कि मोहन भागवत, माजुली की दो दिवसीय यात्रा पर हैं, जो एक सार्वजनिक बैठक के बाद शुक्रवार को खत्म होगी। मोहन भागवत ने कहा कि “हम सब लोग अलग-अलग परंपराओं के उपासक, वाहक ये सब होने के बावजूद भी एक सनातन प्रवाह में चलते हैं। हमारे भारतवर्ष में जितने विचार निकले हैं, वो सब दर्शन अलग-अलग हैं, रीति-नीति अलग-अलग है, परंतु उनकी समान बात ये है कि वो सब लोग ये विश्वास करते हैं कि अपने-अपने रास्ते से चलने पर हम सब लोग एक ही जगह पहुंचने वाले हैं। हमारे यहां रास्ते अनेक हैं, लेकिन हम सब एक परंपरा के लोग हैं। हमारे देश में सब अनेक हैं, लेकिन देश हमारा एक है, राष्ट्र हमारा एक है, संप्रदाय हमारे रास्ते अनेक हैं, जिसको हम धर्म कहते हैं वो सबका एक है, वो मानव धर्म नहीं है, वो सनातन धर्म ही है।”

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