Jammu Kashmir: जम्मू के सीमावर्ती गांवों में खास बदलाव हो रहा है, स्वच्छ भारत मिशन के तहत गोबरधन परियोजना गांव वालों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। आर एस पुरा सेक्टर में सीमा पर बसा गांव गैगियन, इस बदलाव का उदाहरण है। बायोगैस गांव वालों की रसोई को रोशन कर रही है और पारंपरिक लकड़ी-आधारित ईंधन की जगह ले रही है। इससे वायु प्रदूषण पर लगाम कस रहा है।
गौरतलब है कि गोबरधन या गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो एग्रो रिसोर्सेज-मवेशियों के अपशिष्ट से ऊर्जा और जैविक खाद बनाती है, यही गांवों को साफ रखने का मिशन है। इसका मकसद कम उत्सर्जन, स्वस्थ परिवेश और संपन्न ईकोसिस्टम के साथ एक स्वस्थ भविष्य बनाना है। बायोगैस सिर्फ एक ईंधन नहीं है। ये एक वादा है। कम उत्सर्जन, ऊर्जा की आजादी और हर किसी के लिए स्थायी भविष्य का वादा।
गांववासियों का कहना है कि “ये हमारा जो गोबर गैस प्लांट लगा है इसके बहुत फायदे हैं। गोबर गैस की गंदगी एक जगह इकट्ठी हो जाती है और गैस कनेक्शन जो गांव वालों को दी गई है वो इसका इस्तेमाल करते हैं। हमें सरपंच जी ने बहुत मदद की है। फ्री कनेक्शन दिए हैं।” इस हरित ऊर्जा की शुरुआत गाय के गोबर से होती है। गाय के गोबर से बायोगैस पैदा होता है, एक नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है। उनका कहना है कि इसके बहुत ज्यादा फायदे हैं, पहले गैस भरानी पड़ती थी अब ये फ्री मिलती है सिर्फ गोबर डालना पड़ता है सुबह- शाम को। ये फायदा मिलता है हम लोगों को, गोबर डालो और गैस फ्री की मिलती है हम लोगों को। इसके साथ ही कहा कि हमें गोबर गैस से बहुत ज्यादा फायदे मिलते हैं। ये सुबह छह बजे से लेकर आठ बजे तक मिलती है और शाम को चार बजे से लेकर आठ बजे तक मिलती है।”
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इस पर सरपंच ने बताया कि “जो इसका वेस्ट निकलता है वो हम लोग खेतों में किसान लोग ले जाते हैं वो ही उसमें डालते हैं। तो पंचायत को इसका काफी फायदा है क्योंकि जैसे लोग बाहर गोबर फेंक देते थे उसका भी काफी अच्छा है कि पहले बाहर गंदगी फैलती थी। इसकी जो गैस है ये काफी अच्छी है, ऑर्गेनिक गैस है , कोई केमिकल से नहीं बनाई गई है।”
उन्होंने कहा कि “करीब 20 घरों को इसकी गैस को बांटा गया है। इसमें लोग गोबर डालते हैं और इसकी गैस तैयार होती है फिर वही जो लोग हैं इसका इस्तेमाल करते हैं। इसका हमने एक समय रखा हुआ है जो कि सुबह छह से आठ बजे तक छोड़ते हैं और शाम को शाम को चार से छह।”