देश में पहली बार आत्महत्या रोकथाम को लेकर बनाई जाएगी रणनीति, पाठ्यक्रम में भी शामिल करने का लक्ष्य

नमिता बिष्ट

भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत आत्महत्या के कारण हो जाती है। जो की गंभीर चिंता का विषय हैं। अब इस दिशा में सराहनीय पहल करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में अपनी तरह की पहली ‘राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति’ की घोषणा की है। इसके तहत साल 2030 तक आत्महत्या के कारण मृत्युदर को 10 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इतना ही नहीं सरकार ने इस घोषणा में आत्महत्या रोकथाम को पाठ्यक्रम में शामिल करने का भी लक्ष्य रखा है। वहीं सरकार की इस पहल का स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्वागत करते हुए इससे आत्महत्या रोकथाम की दिशा में बेहतर कदम बताया है।

आत्महत्या रोकथाम रणनीति का लक्ष्य

देश की पहली आत्महत्या रोकथाम रणनीति की घोषणा के तहत अगले तीन सालों के भीतर आत्महत्या रोकथाम के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा अगले पांच सालों के भीतर सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत लोगों में आत्महत्या रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ाने और मनोरोग के शिकार लोगों के मानसिक स्वास्थ्य कल्याण को लेकर एकीकृत प्रयास का लक्ष्य है।

सभी स्कूलों के पाठ्यक्रम में होगा शामिल

सरकार ने इस घोषणा में आत्महत्या रोकथाम को पाठ्यक्रम में शामिल करने का भी लक्ष्य रखा है। योजना के तहत अगले आठ सालों के भीतर सभी शिक्षण संस्थानों में इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, जिससे प्राथमिक स्तर पर बच्चों के इस बारे में शिक्षित किया जा सके। लक्ष्य के मुताबिक आत्महत्याओं के मामलों को लेकर जिम्मेदार मीडिया रिपोर्टिंग और आत्महत्या के साधनों तक पहुंच को प्रतिबंधित करने के लिए भी दिशानिर्देश तैयार करने की योजना बनाई जाएगी।

राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाने की पहल

वहीं आत्महत्या रोकथाम रणनीति के बारे में जारी नोट में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है, देश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए हमें अब और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। आत्महत्या, समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करती है। इसे ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर ठोस और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। आत्महत्या रोकथाम रणनीति के माध्यम से इस दिशा में हम राष्ट्रीय स्तर पर योजना बनाने की पहल कर रहे हैं।

भारत में रोजाना 450 लोग करते हैं आत्महत्या

गौरतलब है कि भारत में आत्महत्या के बढ़ते मामले चौंकाने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक यहां रोजाना 450 लोगों की जान आत्महत्या के कारण जा रही है, हर घंटे लगभग 18 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। कोरोना महामारी से पहले के सालों की तुलना में साल 2020-21 में ये आंकड़े बढ़े हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में देश में 1.64 लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है।

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