Maharashtra: नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटे में इलाज के दौरान 24 लोगों की मौत

Maharashtra: महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने पीटीआई वीडियो को बताया कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 12 बच्चों समेत 24 मौतें हुईं। उन्होंने कहा, “पिछले 24 घंटों में नांदेड़ सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज (जीएमसीएच) में 24 मौतें हुई हैं। इनमें से 12 शिशु हैं। गंभीर रूप से बीमार बच्चों को निजी अस्पतालों ने यहां रेफर किया था।

डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डीन डॉ. एस. वाकोडे ने बताया कि बाल रोग विभाग में 142 बच्चे भर्ती हैं, जिनमें से 42 अभी भी गंभीर हैं। उन्हें ऑक्सीजन के साथ-साथ वेंटीलेटर की भी सुविधा दी गई है। मरीज हिंगोली, परभणी और वाशिम समेत पड़ोसी जिलों से हैं। कुछ मरीज तेलंगाना के गांवों से भी हैं।

नांदेड़ जिला कलेक्टर के आधिकारिक बयान के मुताबिक 30 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 24 मौतें हुई हैं। बयान में कहा गया है कि जिन 12 वयस्कों ने जान गंवाई, उनमें से पांच पुरुष और सात महिलाएं थीं। चार वयस्कों को दिल से जुड़ी बीमारियां थीं, एक अज्ञात जहर से पीड़ित था, एक को लीवर की समस्या थी, दो किडनी के मरीज थे और एक मामला गर्भ में जटिलता का था और तीन मामले हादसों के थे।

कलेक्टरेट के बयान में कहा गया है कि मृत शिशुओं में से चार को अंतिम चरण में अस्पताल लाया गया था, बयान में कहा गया है कि पिछले दो दिनों में अस्पताल में ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ दूर-दराज के इलाकों से भी गंभीर हालत में ज्यादा मरीज आए हैं।

म्हैसेकर ने बताया, “छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) जिले की तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन मंगलवार दोपहर एक बजे तक रिपोर्ट सौंपने के लिए किया गया है। मैं स्थिति की समीक्षा करने के लिए खुद अस्पताल का दौरा कर रहा हूं।” इस मामले पर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार को प्राथमिकता के आधार पर नांदेड़ जीएमसीएच के लिए चिकित्सा कर्मचारियों के साथ-साथ पैसे का इंतजाम करना चाहिए।

चव्हाण ने कहा कि अस्पताल में 500 बिस्तर हैं लेकिन करीब 1,200 मरीज भर्ती हैं। चव्हाण ने कहा, “ये स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी संख्या में मरीजों की वजह ले चिकित्सा कर्मचारियों और डॉक्टरों पर बहुत बोझ है। मैं राज्य के उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार से बात करूंगा और धन के लिए उनके दखल की मांग करूंगा।”

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कलेक्टरेट के बयान में कहा गया है कि अस्पताल को इस साल की जिला योजना विकास समिति (डीपीडीसी) में 12 करोड़ रुपये की धनराशि मिली है, जबकि राज्य सरकार ने चार करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि भी मंजूर की है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि डीन ने ये भी कहा है कि कुछ नर्सों के तबादले के बाद भी पद खाली हैं, जबकि चिकित्सा अधिकारियों की भी कमी है।

उन्होंने कहा, “मैंने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वे निजी डॉक्टरों की मदद ले सकते हैं। इसे लागू करना या नहीं करना राज्य सरकार पर निर्भर है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या हाफकिन इंस्टीट्यूट ने अस्पताल को दवाओं की सप्लाई नहीं की है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह की छोटी-छोटी बातों की जानकारी नहीं है, डॉ. वाकोडे ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही हमें 25 लाख रुपये की दवाएं दे चुकी है।

सरकारी अस्पताल के अधीक्षक एस. आर. वाकोडे का कहना है कि “हमारे बाल रोग विभाग में पूरे 142 एडमीशंस अभी भी हैं। उसमें से अराउंड 42 बच्चे क्रिटिकल कंडीशन में हैं। उनको ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, ये सब सुविधा देते हुए भी उपचार को अगर उन्होंने अच्छा प्रतिसाध दिया, तो कुछ बचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दवाई या डॉक्टर की कोई कमी नहीं है। उनको सब ट्रीटमेंट दिया गया है, लेकिन हर बात पे पेशेंट का शरीर जो रहता है, अपने वो ट्रीटमेंट को कैसा प्रतिसाध देता है, उसके ऊपर डिपेंड रहता है।”

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