मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव की अराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस दिन क्या करना अच्छा होता है और किन कार्यों से परहेज करना चाहिए.
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने से विशेष लाभ होता है. इस दिन घर में नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है. इसके साथ ही पानी में काले तिल डालकर भी स्नान कर सकते हैं.
मकर संक्रांति के दिन काले तिल दान का विशेष महत्व है. ऐसा करने से शनि देव और सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. दोनों की कृपा प्राप्त होती है. शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या में राहत मिलती है.
इस दिन तिल का पानी पीने, तिल का लड्डू खाने और तिल का उबटन लगाने की खास परंपरा है.
धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है. जिसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है. इसमें सभी प्रकार की मौसमी सब्जियां डाली जाती है. इससे स्वास्थ्य लाभ होता है.
मकर संक्रांति के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर, सूर्य के उगने पर तांबे के लोटे या गिलास में शुद्ध जल लेकर, उसमें कुमकुम और लाल फूल डालकर भगवान को अर्घ्य दें । फिर कुश के आसन पर बैठकर सूर्य गायत्री मंत्र का इच्छानुसार जाप करें । मंत्र है- ऊं आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।