वैज्ञानिकों ने विशाल वाटर लिली की एक नई प्रजाति खोज निकाली है। ये लिली की दुनिया की सबसे बड़ी प्रजाति है। इस वॉटर लिली की पत्तियां इतनी बड़ी हैं कि एक बच्चे का वजन आराम से संभाल सकती हैं। पानी में खिलने वाले लिली के फूल की पत्तियां करीब 3.2 मीटर चौड़ी हैं और फूल एक इंसान के सिरे से भी बड़े हैं। इस वॉटर लिली को लंदन और बोलिविया के वैज्ञानिकों ने मिलकर खोजा है। तो आइए जानते हैं इसकी खूबियां…
विक्टोरिया बोलिवियाना रखा गया नई प्रजाति का नाम
लंदन के रॉयल बोटेनिकल गार्डन में मौजूद वॉटर लिली की इस प्रजाति का नाम विक्टोरिया बोलिवियाना रखा गया है। यह वॉटर लिली की तीसरी प्रजाति है। शोधकर्ताओं का कहना है कि 2016 में इसके बीज बोलिविया के बोटेनिक गार्डन से लाए गए थे। इसके बाद इन्हें लंदन के गार्डन में लगाया। जब ये पौधे में तब्दील हुए तो काफी अलग पाए गए। जो दूसरे वॉटर लिली से काफी अलग है।
नई वॉटर लिली है सबसे अलग
नई वॉटर लिली इतनी अलग है कि वैज्ञानिक भी हैरान है। वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इसका आकार इतना बड़ा कैसे हुआ। विक्टोरिया बोलीवियाना मीठे पानी में खिलती है। यह बोलिविया के उत्तर पूर्वी इलाके में पाई जाती है। बता दें कि लिली की यह प्रजाति आसानी से उग जाती है और यह ज्याददा धूप अवशोषति करती है। शायद इसके इस आकार के लिए यही फैक्टलर सबसे ज्या्दा जिम्मेउदार है।
दुनिया की सबसे बड़ी वाटर लिली का रिकॉर्ड
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विज्ञान के लिए नया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी वाटर लिली के रूप में भी रिकॉर्ड पर है। जिसके पत्ते 3 मीटर से अधिक चौड़े हैं। शोधकर्ता नतालिया कहती हैं कि वॉटर लिली 80 किलो तक का भार सहन कर सकती हैं। हालांकि ऐसा करने के दौरान यह बराबर से बैलेंस रह सके, इसलिए इसे सपोर्ट देना जरूरी होगा।
विलुप्ति की कगार पर वॉटर लिली
अब तक विशाल वाटर लिली की केवल दो प्रजातियों के बारे में ही जानकारी थी। नई प्रजाति मिलकर अब ये दो से तीन हो गए हैं। नई प्रजाति, विक्टोरिया बोलिवियाना के नमूने 177 सालों से केव के हर्बेरियम में और बोलीविया के राष्ट्रीय हर्बेरियम में 34 सालों से हैं। इसे आमतौर पर विक्टोरिया अमेजोनिका के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वॉटर लिली विलुप्त होने की कगार पर है। यह बाकी दो वॉटर लिली की तुलना में काफी कम जगहों पर पाई जाती है। ब्राजील के अमेजन जंगल के कटने के कारण तीनों ही प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।