Jaipur: राजस्थान सरकार प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में एक जैसा ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी में है, राज्य शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि “बच्चों के मन में हीनता की भावना नहीं होनी चाहिए और उन्हें ये नहीं सोचना चाहिए कि उनकी वित्तीय स्थिति के कारण उनका ड्रेस कोड ऐसा है, सभी में एक जैसी बुद्धि होती है। बच्चों और उनके माता-पिता के मन से इस हीन भावना को दूर करने के लिए हमने सोचा कि सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में एक ही तरह का ड्रेस कोड होना चाहिए।”
हालांकि निजी स्कूलों को अलग से ड्रेस कोड तय करने का मौका दिया गया है। उन्होंने कहा कि “हम निजी स्कूलों को भी एक विकल्प दे रहे हैं कि। अगर आप सरकारी स्कूलों की तरह एक जैसा ड्रेस कोड नहीं चाहते हैं, तो एक खास ड्रेस कोड तय करें। लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कर पाएंगे।”
दिलावर ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य में सीबीएसई के तहत आने वाले स्कूलों को सरकारी नियमों का पालन करना होगा, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिवार ने राज्य सरकार की इस पहल का स्वागत किया। स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा, “हम अपने मंत्री के कदम का स्वागत करते हैं और हम उन स्कूलों से बात करेंगे जो इसके खिलाफ हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करना और शिक्षा प्रणाली से जुड़े लोगों को रोजगार देना है। मेरा माननीय मंत्री जी से एक और अनुरोध है कि उन्हें समानता लाने के लिए निजी और सरकारी स्कूलों के छात्रों को दी जाने वाली सुविधाओं में अंतर को भी मिटा देना चाहिए।”
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि “बच्चों के मन में हीनता की भावना नहीं होनी चाहिए और उन्हें ये नहीं सोचना चाहिए कि उनकी वित्तीय स्थिति के कारण उनका ड्रेस कोड ऐसा है। सभी में एक जैसी बुद्धि होती है। बच्चों और उनके माता-पिता के मन से इस हीन भावना को दूर करने के लिए हमने सोचा कि सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में एक ही तरह का ड्रेस कोड होना चाहिए। हम निजी स्कूलों को भी एक विकल्प दे रहे हैं कि।
उन्होंने कहा कि अगर आप सरकारी स्कूलों की तरह एक जैसा ड्रेस कोड नहीं चाहते हैं, तो एक खास ड्रेस कोड तय करें। लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कर पाएंगे। इसलिए हम सभी स्कूलों में एक ही ड्रेस कोड लागू कर रहे हैं। हमने इसे अभी राजस्थान बोर्ड के स्कूलों के लिए जारी किया है। लेकिन हम दूसरे स्कूलों को एनओसी और सुविधाएं देते हैं। इसलिए उन्हें हमारे नियमों का पालन करना होगा। हम ये भी चाहते हैं कि स्कूल समान पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल करें।”