विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज, देश में 2021 के दौरान इतने लोगों ने की आत्महत्या

नमिता बिष्ट

आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में बढ़ती आत्महत्या रोकने को लेकर लोगों को जागरूक करना है। इसके अलावा आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के व्यवहार पर रिसर्च करना और डेटा भी कलेक्ट करना है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या की वजह से अपनी जिंदगी ख़त्म कर देते हैं। इनमें से आत्महत्या के ज्यादातर मामले 15 से 29 साल के लोगों के सामने आते हैं। जिनमें ज्यादातर आत्महत्या के मामले अविकसित और विकासशील देशों में देखने को मिलते हैं।

इस दिन से मनाया जाता है विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने की शुरुआत साल 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने की थी। इस दिन को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एंड वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा स्पॉन्सर्ड किया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस को मनाने का पहला साल सफल रहा था। इसी वजह से साल 2004 में डब्ल्यूएचओ औपचारिक रूप से इस आयोजन को फिर से को-स्पॉन्सर करने के लिए तैयार हुआ था। जिसकी वजह से ये दिन एक वार्षिक मान्यता प्राप्त दिन बन गया और हर साल 10 सितंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है। 

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2022 की थीम

इस साल के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम ‘Creating hope through action’ यानी “लोगों में अपने काम के जरिए उम्मीद पैदा करना” निर्धारित की गयी है। इस थीम के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन ये संदेश देना चाहता है कि आत्महत्या करने की सोच रखने वालों को किसी भी तरह से अपनी उम्मीद नहीं छोड़नी है।

आत्महत्या के आंकड़े डराने वाले

भले ही दुनियाभर में बढ़ती आत्महत्या रोकने को लेकर लोगों को जागरूक करने के लक्ष्य से विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता हो। लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो वो बहुत ही डराने वाले है। हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानि एनसीआरबी ने डेटा जारी करके बताया कि साल 2021 में देश में 1.64 लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। औसतन लगभग 450 आत्महत्या रोजाना या हर घंटे करीब 18 केस। कोरोना महामारी से पहले के सालों की तुलना में साल 2020-21 में ये आंकड़े बढ़े हैं।

आत्महत्या रोकथाम को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञ बताते हैं कि “आप किसी को देखकर इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है, पर अगर किसी के व्यवहार में कुछ भी अप्रत्याशित सा लगे तो इस बारे में बात जरूर करें, शायद आपके सहयोग से उसे बल मिले और आप आत्महत्या रोकने का निमित्त बन सकें।“

बचाई जा सकती है बेशकीमती जान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में आत्महत्या एक उभरती हुई और गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह आंकड़े स्पष्ट बताते हैं कि इन 8 लाख लोगों को समय पर कोई ऐसा साथ नहीं मिला जो नकारात्मक विचारों को बदलने में उनकी मदद कर सके। इसलिए इसके कारकों पर गंभीरता से चर्चा किए जाने की आवश्यकता है। अगर हम अपने आसपास के लोगों की मनोस्थिति को सहजता और गंभीरता के साथ समझने का प्रयास करना शुरू कर दें तो निश्चित ही एक बेशकीमती जान को बचाया जा सकता है। और यकीन मानिए अगर आप किसी आत्महत्या को रोकने में सफल हो जाते हैं तो यह आपको ऐसी खुशी का एहसास कराएगी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

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