Uttarkashi: उत्तरकाशी जिले में गंगा मां के शीतकालीन प्रवास मुखवा गांव में दो दिवसीय मेला मनाया जाता है, बीती रात को सेलकु यानी आग की धूम रही. इस दौरान युवाओं में आग के खेल का जमकर लुफ्त उठाया. टकनौर क्षेत्र में इस मेले को मनाने की परंपरा सदियों से हैं, सर्दियों का समय आते ही ग्रामीण अपने मवेशियों को कुछ हिमालय क्षेत्र से सकुशल अपने घरों में लौटते हैं.
इस दौरान यह मेला रात के समय मनाया जाता है युवा जली हुई मशाल लेकर नृत्य करते हैं और ऊंची पर्वत चोटी से ब्रह्मकमल पुष्प से गांव के इष्ट देवता सोमेश्वर देवता की पूजा की जाती है और इस मेले में रात्रि के दौरान महिलाएं अनेक प्रकार के पकवान बनाती हैं, जो खास पकवान रहता है उसे दुडे कहा जाता है. जिस गांव में बाहर से जितने भी मेहमान को घी के साथ इस पकवान को दिया जाता है और उसके साथ हरियाली से मेहमानों और गांव के लोग अपने पहनावे टोपी पर इस हरियाली को लगाते हैं.
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यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, इस तरह इस मेले को भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस मेले को 8 गांव के लोग मिलकर बनाते हैं, यह मेला दो दिवसीय मनाया जाता है. दोपहर के समय परमेश्वर देवता के पसवा नंगे पैर डांगरियों के ऊपर चलकर स्थानीय लोगों की मनोकामना पूरी होने के साथ ही उनके कष्ट भी दूर करता है.
इस मेले को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से इस मेले को देखने के लिए आते हैं. वहीं गंगोत्री विधानसभा के विधायक सुरेश चौहान भी इस बार इस मेले के साक्षी रहे, जिससे यहां के ग्राम प्रधान द्वारा सुरक्षा को देखते हुए हर्षिल थाने से पुलिस बल भी तैनाती की जाती है.