Uttarakhand Politics: उत्तराखंड के राजनीतिक दल परिवारवाद को दे रहे बढ़ावा, खड़े हो रहे कई सवाल

Uttarakhand Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक दलों के परिवारवाद को लेकर जमकर निशाना साधते हैं, वहीं 15 अगस्त को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद को लेकर विपक्षी दलों पर हमला बोला, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा की सच्चाई कुछ और ही बयां करती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा परिवारवाद को लेकर विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमले बोले जाते हैं,जब भी कोई चुनाव होता है विपक्षी दलों पर परिवारवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमला करने से नहीं चूकते हैं, लेकिन अगर बात उत्तराखंड की करें तो उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी पर ही परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं, बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में जिस तरीके से स्वर्गीय कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास को टिकट मिला है.

उसे कांग्रेस बीजेपी पर परिवारवाद को लेकर आरोप लगा रही है साथ ही कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड में जितने भी उपचुनाव 2017 के बाद से हुए हैं सभी उपचुनावों में बीजेपी ने परिवार के सदस्यों को ही टिकट दिए है, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरादास जोशी का कहना है कि बीजेपी कांग्रेसी पर परिवारवाद का आरोप लगाती है, लेकिन बीजेपी को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए उसके बाद बात करनी चाहिए।

कांग्रेस के आरोपों में कुछ हद तक दम भी नजर आ रहा है क्योंकि मगनलाल शाह की पत्नी को भारतीय जनता पार्टी ने थराली उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया था, जो कि उत्तराखंड विधानसभा भी चुनाव जीतकर पहुंची तो वही प्रकाश पंत की पत्नी चंद्र पंत को भी पार्टी ने उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया जो की विधानसभा पहुंची, सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को भी उपचुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया जो की चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं और 2022 में भी चुनाव जीत हासिल की है।

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हरबंस कपूर की पत्नी को भी पार्टी ने 2022 की विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जो की कैंट विधानसभा सीट से विधायक है। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र तो पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की पुत्री रितु खंडूरी विधानसभा अध्यक्ष हैं,जो की परिवारवाद के उदाहरण हैं, सरकार के साथ महत्वपूर्ण पदों पर ही भाजपा से परिवारवाद के चलते नेता आगे नहीं बढ़े है, भाजपा संगठन में भी परिवारवाद के चलते कई नेता अहम पदों पर वर्तमान समय में भी विराजमान पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत के पुत्र शंशाक रावत युवा मोर्चा के अध्यक्ष तो वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत के पुत्र विकास भगत भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता है जबकि उमेश अग्रवाल के पुत्र सिद्धार्थ अग्रवाल देहरादून महानगर के अध्यक्ष है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की पुत्री नेहा जोशी भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

भारतीय जनता पार्टी पर परिवारवाद को लेकर इसलिए इस समय सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी ने परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए स्वर्गीय कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास को टिकट दिया है, जिसको लेकर बीजेपी का कहना है कि पार्टी ने भाजपा कार्यकर्ता को ही टिकट दिया है, और जहां तक कांग्रेस की बात है, कांग्रेस परिवारवाद की परिभाषा बीजेपी को ना पढ़ाए।

Uttarakhand Politics: उत्तराखंड राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी छोटा है, और विधानसभा सीटों की संख्या भी 70 है, इस लिहाज से भी कई विधानसभा सीटें परिवारवाद के चलते भाजपा के उन नेताओं को टिकट नहीं मिलता है जो उसके हकदार होते हैं, लिहाजा परिवारवाद के चलते कई कार्यकर्ताओं का टिकट कट जाता है, जिसको लेकर कई बार मायूसी भी भाजपा नेताओं में देखने को मिलती है, लेकिन वह खुलकर अपनी बात कह नहीं पाते है।

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