निमिता बिष्ट
देवताओं की भूमि के नाम से मशहूर देवभूमि उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों की नैसर्गिक खूबसूरती की बात ही निराली है। यहां हर साल देश और विदेश से लाखों सैलानी प्रकृति की अनुपम खूबसूरती को देखने के लिए आते हैं। अगर पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो यहां कई पर्यटन स्थल हैं, जो कि दुनियाभर में मशहूर है। नैनीताल से लेकर मसूरी और ऋषिकेश तक गर्मियों में पर्यटकों का तांता लगा रहता है। सैलानी यहां आकर ट्रैकिंग से लेकर कैंपिंग और पैराग्लाइडिंग तक कई एडवेंचर्स एक्टिविटी करते हैं। लेकिन राज्य में कई पर्यटन स्थल ऐसे भी हैं, जो पर्यटकों की नजरों से ओझल है। ऐसा ही एक रमणीय स्थल बागेश्वर के कांडा में स्थित जोगाबाड़ी की शिव गुफा है। हालांकि ये गुफा अब जल्द ही पर्यटन मानचित्र में जुड़ जाएगी। तो आइए जानते है इस गुफा के बारे में…..
अद्भुत खूबसूरत प्राकृतिक गुफा
बागेश्वर के कांडा बाजार से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोगाबाड़ी की अद्भुत खूबसूरत प्राकृतिक गुफा में जो भी आता है मंत्रमुग्ध हो जाता है। इसके अंदर बेहद खूबसूरत झरना, छोटी सी झील और वहां बने मनमोहक आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहर हैं। गुफा के अंदर एक फीट ऊंचा शिवलिंग भी विद्यमान है जिसे एक 22 मुखी नाग छत्र प्रदान कर रहा है।
पेट के बल लेट कर जाते है गुफा में
गुफा का प्रवेश द्वार अत्यधिक संकरा है। जिस कारण गुफा के अंदर पेट के बल लेट कर जाना पड़ता है। इस गुफा की लंबाई लगभग 10 मीटर, चौड़ाई 6 मीटर और ऊंचाई तकरीबन 7 फीट है। गुफा के अंदरूनी छोर से एक झरना भी बहता है, जिससे गुफा हमेशा ही झील की तरह लबालब भरी रहती है।
गर्मी में भी गुफा के अंदर का पानी कम नहीं होता
गर्मियों में भी यहां 2 फीट तक पानी रहता है। झरने का यह पानी स्थानीय नाले से होता हुआ भद्रकाली नदी में मिल जाता है। इस गुफा में सबसे हैरत में डालने वाली चीजें सफेद और कुछ अन्य रंगों की चट्टानों पर बनी आकृतियां हैं। गुफा की दीवारों से लेकर छत तक ऐसी दर्जनों आकृतियों से भरी पड़ी है, जो ब्रह्मकमल, शेषनाग, शिव, ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं और प्राकृतिक चीजों जैसी नजर आती हैं। इस गुफा की आकृतियां लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर देती हैं।
जल्द ही पर्यटन मानचित्र में आएगी गुफा
जोगाबाड़ी में मिली शिव गुफा जल्द ही पर्यटन मानचित्र में आएगी। इसके लिए सरकार ने पहली किश्त के रूप में 23 लाख रूपये अवमुक्त कर दिए हैं। पर्यटन गुफा के विकास के लिए कार्य करने का जिम्मा कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल को सौंपा गया है। बता दें कि पूर्व में जिलाधिकारी रह चुके मंगेश घिल्डियाल ने मई 2017 को इस गुफा का निरीक्षण किया और इसको ऐतिहासिक बताते हुए इसके संरक्षण की पहल की। इसके बाद 16 मार्च 2021 को तत्कालीन जिलाधिकारी विनीत कुमार ने भी गुफा का दौरा कर इसके विकास और पर्यटन मानचित्र में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे।
वहीं पर्यटन विकास अधिकारी कीर्ति चन्द्र आर्या ने बताया कि बागेश्वर में पर्यटन विकास के लिए प्रयास जारी हैं। शासन को 47.43 लाख का प्रस्ताव भेजा था जिसमें से 23 लाख स्वीकृत किया गया है। ब्रिडकुल को जल्द कार्य प्रारंभ करने को कहा गया है।
अर्जुन माजिला ने खोजी गुफा
जोगाबाड़ी की खूबसूरत प्राकृतिक गुफा आकर्षण का बड़ा केन्द्र बनने जा रही है। इसके अंदर का खूबसूरत झरना, छोटी सी झील और वहां की सुंदर आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहरें हैं। अब बस जरूरत है तो इसके प्रचार-प्रसार और पर्यटन विभाग द्वारा इसके लिए योजनाएं बनाने की। जिससे इससे क्षेत्र का विकास और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।
बता दें कि इस शिव गुफा को खोजने का श्रेय क्षेत्रवासी अर्जुन माजिला को जाता है। उन्होंने 5 साल पहले इस रहस्यमयी और अद्भुत गुफा की खोज की थी। वे इस स्थल के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे पहुंचे गुफा तक
यह गुफा कांडा बागेश्वर बाजार से लगभग ढाई किलोमीटर दूर पंगचौड़ा गांव के जोगाबाड़ी-धराड़ी नामक स्थान पर स्थित है। मोटर मार्ग से तकरीबन डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर इस गुफा तक पहुंचा जाता है।