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पुलकित शुक्ला
हरिद्वार. उत्तराखंड चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक तरफ प्रदेश स्तर पर पार्टी के नेतृत्व को लेकर विवाद छिड़े हुए हैं, तो दूसरी तरफ हरिद्वार नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का मान्य नेता कौन होगा, इसे लेकर कलह दिख रही है. वजह यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने इस सीट से टिकट की दावेदारी कर दी है. राष्ट्रीय प्रवक्ता के हरिद्वार में डेरा डाल लेने से स्थानीय नेताओं और टिकट के दावेदारों में खलबली मच गई है. माना जा रहा है कि हरिद्वार में कांग्रेस की धड़ेबाज़ी के चलते एक गुट ने आलोक शर्मा को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतार दिया है.
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हर बार की तरह स्थानीय नेता टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं. सभी नेता स्थानीय जनता की परेशानियों को समझने और उनके समाधान करने की बात कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा के हरिद्वार शहर सीट के चुनाव मैदान में कूदने से सियासी माहौल दिलचस्प हो गया है, लेकिन कांग्रेस के सामने एक और सिरदर्द खड़ा हो गया है. पूरे शहर को शर्मा के पोस्टरों और होर्डिंग्स से पाट दिए जाने के बाद मंगलवार को प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी के सामने शर्मा ने टिकट के लिए औपचारिक ढंग से अपनी दावेदारी पेश की.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने हरिद्वार सीट पर दावेदारी पेश की.
1. क्या है आलोक शर्मा की दावेदारी का आधार?
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मा के दावेदारी पेश करने पर स्थानीय बनाम बाहरी की बहस चल पड़ी है, लेकिन शर्मा अपनी दावेदारी को जायज़ ठहरा रहे हैं. शर्मा ने कहा, ‘मैं रुड़की से ही हूं, बाहरी नहीं हूं. जयराम आश्रम से एजुकेशन कंसल्टेंट के तौर पर यहां जुड़ा रहा हूं.’ शर्मा ने कहा कि हरिद्वार की जनता अब बदलाव चाहती है और पार्टी अगर मौका देगी तो पार्टी के सिपाही के तौर पर वह चुनाव लड़ेंगे.
2. स्थानीय दावेदारों के क्या हैं तर्क
राष्ट्रीय प्रवक्ता के हरिद्वार में आकर टिकट मांगने पर स्थानीय कांग्रेस नेता और टिकट के दावेदार असहज नजर आ रहे हैं. हालांकि कोई भी खुलकर शर्मा के खिलाफ नहीं है, लेकिन दबी जुबान में सभी इस कदम को गलत बता रहे हैं. दावेदार कांग्रेसी सतपाल ब्रह्मचारी का कहना है, ‘दावेदारी सब कर सकते हैं. सबको राजनीति करना है, लेकिन पार्टी में रहना है तो एक व्यक्ति का साथ देना पड़ेगा.’ एक और दावेदार अशोक शर्मा भी कह रहे हैं कि स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता मिलना चाहिए और भरोसा है कि पार्टी स्थानीय नेता पर ही भरोसा जताएगी.
3. क्या है एक्सपर्ट की राय?
इस पूरे मामले को गौर से देख रहे राजनीतिक जानकार रत्नमणि डोभाल का कहना है कि इस बार नगर में परिवर्तन की लहर है और ऐसे में कांग्रेस को किसी बाहरी उम्मीदवार को लाकर आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग दावा पेश कर रहे हैं, जिनका शहर और प्रदेश से जुड़ाव नहीं रहा. डोभाल ने मामले में धनबल की आशंका भी ज़ाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस स्थानीय नेताओं को खफा करने का जोखिम मोल नहीं लेगी.
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