श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर जहां किसी प्रकार का दान नहीं होता स्वीकार

उत्तराखण्ड में प्रसिद्ध शिव मंदिर में एक श्री प्रकाशेश्वर महादेव उन कुछ मंदिरों में से एक है जो किसी भी प्रकार के चढावां – भेंट, दान को स्वीकार नहीं करते हैं, यहां तक कि गुमनाम दान भी स्वीकार नहीं किए जाते हैं।

यह मंदिर हरी-भरी पहाड़ियों के बीच सड़क के किनारे मसूरी देहरादून मार्ग पर स्थित है। उत्तराखंड से लेकर पूरी भारत में कई शिव मंदिर हैं, लेकिन यह शिवमंदिर विशेष है इस मंदिर में हिंदू त्योहार शिवरात्रि और सावन के महीनों में भक्तों का तांता लगा रहता हैं.
पौराणिक ‘शिव महापुराण’ में उल्लेख है कि भगवान शिव जी को धतूरे के फूल, हरसिंगार व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल अतिप्रिय हैं। कहने का मतलब भगवान धन, ऐश्वर्य, छप्पन भोग आदि के नहीं, बल्कि प्रेम भाव के भूखे हैं। जो भी भक्त भगवान की प्रेम भाव और सद्भावना के साथ भक्ति में लग जाता है उन्हें ही भगवान के दर्शन प्राप्त हुए है। देहरादून में पहाड़ी की रानी मसूरी रोड पर स्थित श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर भी इसी भाव का प्रतिबिंब है।
श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं यहां स्थापित शिवलिंग, जो दुर्लभ पत्थरों और स्फटिक के बने हुए हैं। स्फटिक एक प्रकार का बर्फ का पत्थर है, जो लाखों वर्ष बर्फ में दबे होने से बनता है। यह दिखने में चमकदार, पारदर्शी और कठोर होता है। श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। पुरे मंदिर के ऊपर लगभग 140-150 से ज्यादा त्रिशूल बने हुए हैं। जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देते है। और मंदिर की, दीवारों को लाल और नारंगी रंग से चित्रित किया गया है। बीच में काले रंग का एक झूला भी है। मंदिर में लगे शिलापट पर अंकित जानकारी के मुताबिक यह एक निजी प्रॉपर्टी है। इसका निर्माण शिवरत्न केंद्र हरिद्वार की ओर से वर्ष 1990-91 के दौरान कराया गया। मंदिर के निर्माता योगीराज मूलचंद खत्री का परिवार है।
किसी प्रकार का दान नहीं होता स्वीकार
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है देहरादून-मसूरी मार्ग पर स्थित इस मंदिर में ‌चढ़ावा न चढ़ाने की शर्त पर भगवान शिव के दर्शन होते हैं। इस मंदिर की एक विशेषता है, कि यहां परोसा जाने वाल प्रसाद कड़ी चावल, दलिया या चाय आदि के रूप में दिया जाता है। यह शिव मंदिर, देहरादून के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर के पीछे आप मालसी हिरण पार्क और मालसी आरक्षित वन क्षेत्र के हरे-भरे जंगल देख सकते हैं।

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