द्रोपदी का डांडा दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे रोहित…लेकिन नहीं हारी हिम्मत, माउंट किलिमंजारो फतह कर बढ़ाया देवभूमि का मान

नई टिहरी। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है…पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है…इन पंक्तियों को देवभूमि के युवा लगातार सच साबित कर रहे हैं। उत्तराखंड के युवा अपनी प्रतिभा के दम पर लगातार नई बुलंदियां हासिल कर रहे हैं। इस फेहरिसत में टिहरी के रोहित भट्ट का नाम भी शामिल हो गया है, जिन्होंने माउंट किलिमंजारो को फतह कर देवभूमि का नाम रोशन किया है।

गांव में खुशी की लहर
विकास खंड भिलंगना के खाल पाली, कोटी निवासी युवा पर्वतारोही रोहित भट्ट ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी तंजानिया स्थित माउंट किलिमंजारो को फतह किया है। उन्होंने 28 जनवरी की सुबह 19 हजार 340 फीट ऊंचे माउंट किलिमंजारो को चढ़ने में सफलता पाई। रोहित की सफलतापूर्वक आरोहण करने की खबर पर उनके गांव में खुशी का माहौल है।

किलिमंजारो…एक ज्वालामुखी शिखर
किलिमंजारो शिखर की ऊंचाई 5895 मीटर अर्थात 19341 फीट है। यह शिखर तंजानिया देश में स्थित है। ठीक भूमध्य रेखा पर स्थित यह एक ज्वालामुखी शिखर है। ज्वालामुखी इतिहास काल में निष्क्रिय ही रहा है।

 

द्रोपदी का डांडा दुर्घटना में बाल-बाल बचे रोहित
रोहित भट्ट के बारे में बता दें कि यह वही रोहित है जो 4 अक्टूबर 2022 के दिन नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एडवांस प्रशिक्षण के दौरान द्रोपदी का डांडा दुर्घटना में बाल-बाल बचा था। उस दुर्घटना में उसके अधिकांश प्रशिक्षणार्थी साथियों की दुखद मृत्यु हो गई थी। रोहित ने तत्काल बचाव और राहत के दौरान अपने कुछ साथियों को बचाया और बाद में कुछ के शव को खाई से निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद की।

साथियों को दी श्रद्धांजलि
खास बात यह है कि रोहित ने किलिमंजारो का शिखर फतह कर अपने उन साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। स दौरान वह अपने सभी साथियों की फोटो वाला एक बैनर अपने साथ लेकर गए थे।

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