Ramnagar: कैनाइन डिस्टेंपर वायरस यानी सीडीवी बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है, पालतू कुत्तों के साथ-साथ जंगली कुत्तों तक में भी ये तेजी से फैलती है, यह वायरस कुत्तों से बाघों और तेंदुओं तक में फैल सकता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हाल ही में इस खतरे से निपटने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व इस प्रोजेक्ट को लागू करने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान होगा, इसके तहत कुत्तों का टीकाकरण और उनकी नसबंदी की जानी है।
कैनाइन डिस्टेंपर वायरस फैलने के बाद जानवरों को सांस लेने में परेशानी होती है। इसमें बुखार, खांसी, उल्टी, दस्त, लकवा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में मौत तक हो जाती है, कॉर्बेट में आवारा कुत्तों को टीका लगानेे के अलावा पार्क में बाघों को निगरानी में रखा जाएगा और सीडीवी के किसी भी लक्षण की निगरानी की जाएगी।
पार्क के डायरेक्टर के मुताबिक ये उपाय बाघों की सुरक्षा के लिए कारगर होगा, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर का कहना है कि “कैनाइन डिस्टेंपर वायरस एक संक्रामक बीमारी है, जो आवारा कुत्तों से पेट फैमिली यानी तेंदुओं और बाघों में फैलता है। इससे उनके स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी मृत्यु भी हो सकती है। इसके कई इनसिडेंट पूरे विश्व में रिपोर्ट हुए है और भारत के भी कई क्षेत्रों में सीडीवी रिपोर्ट हुई है। जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई टाइगर रिजर्व में इसकी रिपोेर्ट हुई है।”