उत्तराखंड। हरिद्वार के ज़िला अस्पताल में मरीज अस्पताल के बाहर रहने के लिए मजबूर। डॉक्टर भी मौजूद नहीं है। एक पिता ने बताया,”हमें एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भेजा जा रहा है। हमें बोला गया कि डॉक्टर अपने मन से आएंगे। अगर ऐसे में किसी मरीज की मृत्यु हो जाए तो ज़िम्मेदार कौन होगा?” वही CMS चन्दन सिंह मिश्रा का कहना है कि अगर गेट पर कोई मरीज पड़ा है तो उसके लिए क्या कहें? हम सबका पकड़कर इलाज तो नहीं करेंगे, जो इलाज मांगेगा उसको इलाज देंगे। हम इमरजेंसी को सूचित कर देते हैं कि मरिजों को देख लें। अगर मरीज गेट पर आ सकता है तो इमरजेंसी में भी आ सकता है.