द्रौपदी डांडा एवलांच हादसे में सकुशल बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार ने ऐसे की दिल दहलाने वाली कहानी बयां

नमिता बिष्ट

द्रौपदी का डांडा एवलांच हादसे में सकुशल बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार को दूसरी बार नया जीवन मिला है। इससे पहले भी उनका 2010 में एवलांच से सामना हो चुका है। अनिल कुमार कहते हैं दोनों हादसों में उन्हें नया जीवन मिला है। लेकिन द्रौपदी का डांडा में हुई एवलांच की घटना बेहद बड़ी और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने हादसे की दिल दहलाने वाली कहानी बयां की है।

मौसम खराब होता तो दल आगे नहीं बढ़ता
राजस्थान निवासी अनिल कुमार पिछले चार साल से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात हैं। मंगलवार को अनिल कुमार द्रौपदी का डांडा आरोहण अभियान दल का नेतृत्व कर रहे थे। अनिल ने बताया कि ‘मंगलवार को जो हुआ उसकी कोई उम्मीद नहीं थी। मौसम बिल्कुल साफ था। हालांकि सुबह एक बार हल्के बादल दिखाई दिए थे, लेकिन बाद में मौसम साफ हो गया था। उन्होंने कहा कि यदि मौसम खराब होता तो दल आगे नहीं बढ़ता।

किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला
अनिल ने बताया कि सभी लोगों ने सुबह करीब चार बजे से चढ़ाई शुरू की थी। सब रस्सी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। अनुमान था कि आठ बजे तक चोटी पर पहुंचने के बाद हम उतरना शुरू कर देंगे। अनिल ने बताया कि वह सबसे आगे रस्सी बांध रहे थे। उनके पीछे पूरा दल चल रहा था। प्रशिक्षक एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नवमी रावत प्रशिक्षुओं की लाइन के बीच में थी। लेकिन अचानक 100 मीटर बर्फ का जलजला आया और सभी उसकी चपेट में आ गए। यह इतना अचानक हुआ कि किसी को संभलने का मौका भी नहीं मिला।

50 मीटर गहरे क्रेवास में गिरा दल
वो और दल के सदस्य 50 मीटर गहरे क्रेवास यानि बर्फीली खाई में गिर गए। उन्होंने बताया कि वह किसी तरह किनारे की ओर छिटके तब जाकर उनकी जान बच सकी। फिर उन्होंने प्रशिक्षक राकेश राणा और दिगंबर के साथ मिलकर क्रेवास में उतरने के लिए रस्सी बांधी और रेस्क्यू में जुट गए। उन्होंने खाई में फंसे साथियों को निकालना शुरू किया। इसके साथ ही दल के 6-7 सदस्य भी बचाव में जुट गए। प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नवमी रावत को भी क्रेवास के अंदर से निकाला गया, लेकिन दोनों पहले ही दम तोड़ चुकी थीं।

2010 में भी दल का नेतृत्व कर रहे थे अनिल
अनिल ने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने एवलांच का सामना किया है। साल 2010 में वह जवाहर पर्वतारोहण संस्थान (जिम) गुलमर्ग में तैनात थे। तब करीब 250 प्रशिक्षुओं का दल था। यह दल एवलांच की चपेट में आया, जिसमें 18 प्रशिक्षुओं की मौत हुई थी। अनिल ने बताया कि दो बार नया जीवन मिलना सौभाग्य की बात है।

अब तक 9 शव बरामद….रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
आपको बता दें कि उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्र द्रौपदी का डांडा पर्वत 2 में प्रशिक्षण के लिए निकला 46 पर्वतारोहियों का दल डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलांच की चपेट में आ गया था। जिसके बाद से ही वहां लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। हालांकि टीम को रेस्क्यू करने में मौसम खराबी के चलते काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है, लेकिन उसके बावजूद भी लगातार एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम सहित एयरफोर्स की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। अभी तक पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में 17 लोगों को सकुशल निकाला गया है। हादसे में अब तक 9 लोगों के शव बरामद कर दिए गए हैं जबकि 22 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।

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