Navratri: नवरात्रि के पांचवें दिन जानें मां खंडद्वावारी की महिमा

Navratri: नवरात्रि के पांचवा दिन स्कंद माता की पूजा अर्चना की जाती है, जिसके लिए लोग सुबह मां गंगा में डुबकी लगाकर उसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजा के लिए देवी स्कंद माता का आह्वान करते हैं।

बात करते हैं उत्तरकाशी के हिना की जहां पर मां खंडद्ववारी का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें सुबह से ही भक्तों की लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती हैं। माता के मंदिर के दाएं से भागीरथी नदी बहती है, पौराणिक कथाओं में जिक्र किया जाता है कि पांडवों द्वारा इसी जगह से सेम मुखेम नागराजा के लिए मां गंगा की धारा को ले जाने के लिए मार्ग तैयार किया जा रहा था। जिसमें कहा जाता है कि यहां पर पांडवों के द्वारा मार्ग बनाने का लक्ष्य रखा गया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भीम द्वारा अपने सिर की एक टोपी से भरे मिटी को यहां पर गिराया था जो कि अब एक टापू के रूप में विकसित है और दूसरी और अपनी गदा को लेकर पहाड़ पर मारा था जहां पर अब डब्लू का आकार है। वहीं काशी विश्वनाथ की इच्छा थी कि गंगा जी विश्वनाथ होकर गुजरे जिसके कारण गंगा कि धारा इधर ना जाकर काशी विश्वनाथ की तरफ जाय, कहते हैं कि जब कार्य चल रहा था तो उसे समय रात खुल गई थी जबकि पांडवों के लिए आदेश था कि वह जो भी काम करेंगे वह रात को करेंगे क्योंकि दिन मनुष्य को नहीं नजर आने चहिये, वही रात खुलने के कारण वह कार्य अधूरा ले गया और मां गंगा की अमृत धारा काशी विश्वनाथ होकर गुजरी जिसके कारण यहां से मुखेम नागराजा से होकर नहीं जा पाई उसी वक्त से है यहां पर खंडद्वारी मंदिर विराजमान है मंदिर के अंदर शिवलिंग भी है और माता की मूर्ति भी।

मान्यताएं हैं कि इस मंदिर से होकर जब भी कोई शादी या धार्मिक कार्य गुजरते हैं तो इस मंदिर में श्रीफल चढ़ाना बहुत जरूरी होता है। अगर कोई श्रीफल नहीं चढ़ता है तो वहां पर कुछ अनहोनी होने की संभावना होती है जिसके लिए इष्ट देवता बताते हैं कि वहां पर जा कर बलि देना जरूरी हो जाता है, जिसके लिए इस मंदिर के पास अक्सर हमने देखा है कि बकरे की बलि चढ़ाई जाती है।

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