Kedarnath: उत्तराखंड उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद, केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन को लेकर सख्त दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं। नए नियमों के अनुसार, सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के बाद किसी भी घोड़े-खच्चर का संचालन निषेध होगा। यदि कोई संचालक इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तहसील प्रशासन ऊखीमठ और पशुपालन विभाग की टीमें इस दिशा में निगरानी रख रही हैं।
केदारनाथ यात्रा में हजारों घोड़े-खच्चरों का उपयोग होता है, जो यात्रियों को धाम तक पहुंचाने और आवश्यक सामग्री ढोने का कार्य करते हैं। हालांकि, कुछ समय पहले यात्रा मार्ग पर इन जानवरों में संक्रमण फैलने की घटनाएं सामने आई थीं, जिसके कारण उनकी आवाजाही पर रोक लगाई गई थी। पशुपालन विभाग ने सभी घोड़े-खच्चरों को क्वारंटीन कर उचित देखभाल के बाद उन्हें स्वस्थ घोषित किया। अब केवल वे घोड़े-खच्चर ही यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं, जिन्हें पशु चिकित्सक द्वारा फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त है।
इस वर्ष यात्रा मार्ग पर कुल 5,000 घोड़े-खच्चरों का संचालन हो रहा है। इनकी स्वास्थ्य जांच के लिए सात पशु चिकित्सकों की टीमें विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं। पशुपालन विभाग ने यात्रा मार्ग पर गर्म पानी की व्यवस्था के लिए 18 गीजर लगाए हैं, ताकि जानवरों को ठंडे पानी से होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार, जिलाधिकारियों और पशुपालन विभाग से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही, चारधाम यात्रा को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए एक समिति का गठन करने के निर्देश भी दिए हैं। यह निर्णय घोड़े-खच्चरों की भलाई और यात्रा मार्ग की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि यात्रा मार्ग पर जानवरों के साथ क्रूरता और पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा सके।