पांच दशक से भूधंसाव की चपेट में जोशीमठ! सीएम ने भूधंसाव के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट की तलब

जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के जिलाधिकारी से विशेषज्ञ कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि प्रभावित नागरिकों की यथासंभव मदद की जाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात के बाद मीडिया से यह जानकारी साझा की। उन्होंने सीएम धामी को भूधंसाव के कारण भवनों में दरारें पडऩे की वर्तमान व पूर्ववर्ती घटनाओं के बारे में बताया। उन्होंने प्रभावितों को अधिक से अधिक मदद व राहत पहुंचाने और समस्या के समाधान के लिए विस्तृत नीति बनाने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया।

उधर, जोशीमठ में भू-धंसाव पर स्थानीय जनता प्रशासन के निरकुंश रवैये से आक्रोशित है। और लगातार सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद अपने आंदोलन को और तेज करने की बात कही है। समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए पूर्व में भी कई जांच समितियां अपनी रिपोर्ट दे चुकी है, लेकिन उस पर ना तो प्रशासन गम्भीर नजर आया है और ना ही कोई कार्यवाही की गई है। जबकि स्थानीय जनता चाहती है कि उनका पुनर्वास किया जाए ।

जोशीमठ में भूधंसाव हो रहा है, जबकि शासन-प्रशासन अभी तक मूकदर्शक बना हुआ है। हालांकि अब मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी से विशेषज्ञ कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। लेकिन पांच दशकों से जोशीमठ शहर खतरे के साए में जीने को मजबू है। अभी तक 580 से अधिक भवन, भूमि में दरारें चिह्नित की गई है। 50 से अधिक किरायेदार दरार वाले भवनों को छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जा चुके हैं, लेकिन दरारों का दायरा बढ़ने से जोशीमठ नगरवासी चिंतित हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत भवन स्वामियों की है। 20 से अधिक भवन स्वामी ऐसे हैं, जो अपना जरूरी सामान अन्य स्थानों में ले जा चुके हैं।

इतना ही नहीं जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव की आंच घरों और होटलों के बाद पौराणिक धर्मस्थल ज्योतिर्मठ में भी पहुंच चुकी है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतेश्वर महादेव के गर्भगृह में दरारें आ गई हैं। यह वह स्थान है, जिस अमर कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शंकर के 11 वें अवतार आदि गुरु शंकराचार्य ने कठोर तप किया था और दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। भूधंसाव के चलते प्रभावित परेशान हैं। उन्हें नए ठिकाने की तलाश में परेशान होना पड़ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *