मोहन थपियाल
जौनपुर का ऐतिहासिक राजशाही मौण मेला के बाद भरवा मौण आज धूमधाम से मनाया गया। जिसमें क्षेत्र के लोगों ने भद्रीगाड नदी में मछलियों को पकड़ा। बता दें कि हर साल भद्रीगाड नदी में लगने वाला अनोखा भरवा मौण की परंपरा टिहरी रियासत से चली आ रही है। सावन मास की संक्रती पर खैराड छानी के समीप से 11 गॉव के लोग इसमें हिस्सा लेते है। मछली पकड़ने के लिए गांव के लोग नदी में मौण टेमरु का पाउडर डाल देते है ताकि मछलियां आसानी से पकड़ी जा सके।
बेहोश कर पकड़ी जाती है मछलियां
मौण एक प्रकार का पाउडर होता है जो पहाड़ी क्षेत्रों मे उगने वाले टेमरु के पौधों के पत्तियों और उसकी टहनियों को पीस कर बनाया जाता है। मौण के नदी में डालने से मछलियां बेहोश हो जाती है, और लोग आसानी से मछलियों को पकड़ सकते है। इस दौरान ढेड किमी लम्बी नदी में लोग कुंडियाली, फटियाडा, जाव (मछली रखने वाला अलग प्रकार का झोला) अपने साथ रखते है, इस झोले से पता चल जाता है एक व्यक्ति ने करीब कितने किलो मछली पकड़ी है। हालांकि नदी में पानी अधिक होने के चलते लोग के हाथ इस बार मछली कम पकड़ी गई। 11 गॉव सिलवाड के अलाव नैनबाग क्षेत्र से लगा जौनसार के लोग भी इस मौण में शिरकत करते है।