Haridwar News: आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, ऐसे में धर्मनगरी हरिद्वार में जगह-जगह योग अभ्यास के लिए कैंप लगाए गए और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ योग गुरु बाबा रामदेव ने योग किया। इस साल योग दिवस की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग’के रूप में योग दिवस मनाया गया।
हरिद्वार के मां गंगा तटों पर देश-विदेश से आए श्रद्धालु, स्कूली बच्चे और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने योग दिवस मनाया। सुबह से ही अलग-अलग शिविरों और गंगा तटों के किनारे हजारों लोग योग करने पहुंचे। चारों धाम में सुबह की शुरुआत योग की गई तो सीएम पुष्कर सिंह धामी भी हरिद्वार पहुंचे, इस दौरान उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड को योग और अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे, उन्होंने कहा कि योग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ ही समग्र कल्याण के लिए भी फायदेमंद है।
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मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि “सम्पूर्ण मानवता के लिए ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत्त प्राचीन योग पद्धति को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से विश्व में एक नयी पहचान मिली है। आज देवभूमि उत्तराखंड की भी योग और अध्यात्म के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनी है, हमारी सरकार प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। स्वस्थ जीवन के लिए हम योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और दूसरों को भी योग करने के लिए प्रेरित करें।”
नशे के विरुद्ध जागरूक :
सीएम धामी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि योगपीठ में हजारों लोगों के साथ ढाई घंटे उन्हें योग करने का अवसर मिला है, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भारत ही नहीं पूरे विश्व का अध्यात्मिक केंद्र है। आज योग अध्यात्म आयुर्वेद और उद्योग के क्षेत्र में उत्तराखंड बड़ा योगदान दे रहा है, मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बाबा रामदेव ने लोगों को नशे के विरुद्ध शपथ दिलवाई और 26 जून को बड़े स्तर पर उत्तराखंड में लोगों को नशे के विरुद्ध जागरूक करने के साथ ही जरूरत पड़ी तो सख्त कानून भी बनाया जाएगा।
Haridwar News: बाबा रामदेव ने कहा कि अंतररष्ट्रीय योग दिवस पर यूएनओ में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग किया और भारत में लगभग 10 करोड से ज्यादा लोगों ने योग किया। इसके साथ ही पतंजलि योगपीठ में मुख्यमंत्री धामी ने 20 हजार से ज्यादा लोगों के साथ योग किया और कहा कि उत्तराखंड को योग युक्त और नशा मुक्त बनाकर उत्तराखंड को अध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करना है।