Haridwar: उत्तराखंड के हरिद्वार में मौजूद मनसा देवी मंदिर में भगदड़ में कई लोगों की मौत के एक दिन बाद मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं। मंदिर में उमड़ी भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए परिसर में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए।
बता दे कि मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा घायल हो गए। अधिकारियों के अनुसार करंट फैलने की अफवाह से भगदड़ मची थी।
ईडीसी अधीक्षण अभियंता प्रदीप कुमार ने कहा कि “हमें खबर मिली थी कि यह घटना बिजली के करंट के कारण हुई होगी, हमारी टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है। हम आमतौर पर हर 15 दिन में जांच करते हैं, हमारा सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित है, यहां कोई भी खुला तार नहीं है, सभी तार इंसुलेटेड हैं। बिजली के झटके की कोई खबर नहीं है। हमने अपने सिस्टम की पूरी जांच की, ऐसा कुछ नहीं है।”
इसके साथ ही गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने कहा कि “घटना के सही कारणों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हमारी प्राथमिकता घायलों को सर्वोत्तम उपचार प्रदान करना, उनके परिवारों को सूचित करना और मृतकों की औपचारिकताएँ पूरी करना है। मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और भगदड़ में घायल हुए लोगों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। सभी एजेंसियों, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और अन्य बचाव दलों को सतर्क और सतर्क रहने के लिए कहा गया है। लगभग 25 लोग घायल हैं, जिनमें से 10 को छुट्टी दे दी गई है और लगभग छह को एम्स रेफर किया गया है।”
जीडी अस्पताल मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि “कुल 35 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हमने छह गंभीर रूप से घायलों को रेफर किया था और आठ लोगों के परिवार उन्हें सामान्य मानते हुए अपने घर ले गए थे। 11 लोग भर्ती हैं, चार को छुट्टी मिल गई है, कुल 14 लोगों को छुट्टी मिल गई है, सात अभी भी भर्ती हैं, सभी सामान्य हैं।”
इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार के जिलाधिकारी दीक्षित को घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दिए, जिलाधिकारी ने हरिद्वार के उपजिलाधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए उन्हें 15 दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। भगदड़ की घटना के कुछ देर बाद मुख्यमंत्री हरिद्वार पहुंचे और अस्पतालों में भर्ती हर घायल से बातचीत कर उसका हालचाल जाना । उन्होंने उनसे हादसे के बारे में भी जानकारी ली। बाद में वह एम्स ऋषिकेश भी गए।