हरिद्वार में सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालु गंगा में लगा रहे आस्था की डुबकी, घाटों पर उमड़ रही भारी भीड़

आज सोमवती अमावस्या है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस बार की अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 30 साल बाद सोमवती अमावस्या पर अद्भुत संयोग बन रहा है। क्योंकि आज की अमावस्या ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इसी दिन शनिदेव जी का भी जन्म हुआ था। इस साल इस दिन वट सावित्री पूजा भी है। इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है।

17 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

सोमवती अमावस्या हरिद्वार के गंगा घाटों और ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर सुबह से ही श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दान दक्षिणा स्नान और तर्पण का कार्य कर रहे हैं और अपने पित्रों से कामना कर रहे हैं। कोरोना काल के ढाई सालों में हरिद्वार और ऋषिकेश के घाटों में किसी स्नान पर्व पर इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु देखने को मिल रहे हैं। बता दें कि हरिद्वार में पौराणिक ब्रह्मकुंड पर रात 12 बजे से ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा। ब्रह्म मुहूर्त तक गंगा घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। हर किसी में गंगा में डुबकी लगाने की होड़ सी मची नजर आ रही है। सड़कों से लेकर गंगा घाट और फिर पौराणिक ब्रह्मकुंड तक हर जगह सिर्फ लोगों की भीड़ ही नजर आ रही है। इस दौरान पुलिस व्यवस्था चाक-चौबंद है। जल पुलिस के कर्मचारी जगह-जगह तैनात हैं। संभावना है कि शाम तक लाखों की संख्या में श्रद्धालु ऋषिकेश और हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे।

 सोमवती अमावस्या का व्रत करवाचौथ के समान फलदायी

हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही नहीं इस दिन लक्ष्मी पूजन का भी विशेष महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाला व्रत करवाचौथ के समान फलदायी माना जाता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु व खुशहाल जीवन की कामना के लिए उपवास करती हैं। पंडितों का मानना है कि इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है एवं जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति के लिए यह उपाय करने चाहिए:-

पितृ तर्पण व पिंडदान- सोमवती अमावस्या के दिन ही पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान का विशेष महत्व है।

दान- सोमवती अमावस्या के दिन शनि और चंद्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

नदी स्नान- इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इस दिन हनुमान जी, शनिदेव, भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

वट वृक्ष की पूजा- सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाकर परिक्रमा की जाती है।

इन चीजों का करें दान- सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को पानी का घड़ा, ककड़ी, खीरा, छाता आदि का दान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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