Dehradun: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को देहरादून में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ दिवंगत जनरल बिपिन रावत की प्रतिमा का अनावरण किया। रक्षा मंत्री ने जनरल रावत को एक साहसी सैनिक बताया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा देते रहेंगे।
उन्होंने कहा, “जनरल बिपिन रावत के साथ काम करते हुए जो कुछ भी मैंने अनुभव किया है कि उनके अंदर शौर्य, साहस और शालीनता, तीनों का एक अद्भुत संगम था।” आठ दिसंबर, 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जनरल रावत को पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया था, जो देश के सैन्य इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक है, कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।
इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि “जनरल बिपिन रावत ने हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर के वो महारथी थे। जिन्होंने उनके साथ काम किया है वो जानते हैं, अनेक उदाहरण जब कठिन चुनौतियों, उनकी रणनीतियों, उत्कृष्ट नेतृत्व कैशल ने हमेशा देश को गौरवान्वित करने का काम किया है। सर्जिकल स्ट्राइक में जो उन्होंने मार्गदर्शन किया वो हमारे सैनिकों के बहुत काम आया। उनके अनुकरणीय योगदान को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। उत्तराखंड की अपनी जन्मभूमि से वो बहुत प्रेम करते थे।”
उन्होंने कहा कि “जनरल बिपिन रावत ने हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर के वो महारथी थे। जिन्होंने उनके साथ काम किया है वो जानते हैं, अनेक उदाहरण जब कठिन चुनौतियों, उनकी रणनीतियों, उत्कृष्ट नेतृत्व कैशल ने हमेशा देश को गौरवान्वित करने का काम किया है। सर्जिकल स्ट्राइक में जो उन्होंने मार्गदर्शन किया वो हमारे सैनिकों के बहुत काम आया। उनके अनुकरणीय योगदान को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। उत्तराखंड की अपनी जन्मभूमि से वो बहुत प्रेम करते थे।”
इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “जनरल बिपिन रावत के साथ काम करते हुए जो कुछ भी मैंने अनुभव किया है कि उनके अंदर शौर्य, साहस और शालीनता, तीनों का एक अद्भुत संगम था। शौर्य भी था, साहस भी था और शालीनता भी थी। मैं कहूंगा ये तीनों उसी के अंदर हो सकती हैं जो आध्यत्मिक हो। यदी मैं आध्यत्मिक की बात कर रहा हूं, तो सहज रूप से लोग मानते होंगे की मंदिर में जाकर पूजा करना, मस्जिद में जाकर इबादत करना, यही आध्यत्म है। मैं विशेष रूप से बच्चों से कहना चाहूंगा कि ये आध्यत्म नहीं है। जो आध्यत्मिक होगा वहीं बहादुर होगा। जो आध्यत्मिक होगा वहीं शालीन होगा।”