देहरादून। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज उत्तराखंड दौरे पर हैं। इस क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देहरादून गढ़ी कैंट-चीड़बाग में शौर्य स्थल पहुंच चुके हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री शौर्य स्थल का लोकार्पण किया। वहीं, देहरादून गढ़ी कैंट आर्मी एरिया में सेना द्वारा प्लास्टिक वेस्ट से तैयार किए गए रेसिंग ट्रैक का भी उद्घाटन करेंगे। इसके बाद शहीद जसवंत सिंह मैदान (पूर्व में महिंद्रा ग्राउंड) में पूर्व सैनिकों व वीर नारियों को संबोधित करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी व सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद हैं।
सोल आफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का भी उद्घाटन
वहीं, देहरादून गढ़ी कैंट आर्मी एरिया में सेना द्वारा प्लास्टिक वेस्ट से तैयार किए गए रेसिंग ट्रैक का भी उद्घाटन किया। यह प्रतियोगिता भारतीय सेना और CLAW ग्लोबल (विशेष बलों के दिग्गजों की ओर से संचालित एक संगठन) की अपनी तरह की एडवेंचर स्पोर्ट्स की संयुक्त पहल है। बता दें कि भारतीय सेना की सबसे पुरानी ब्रिगेड आइबेक्स और वेटरन का स्टार्ट अप क्लाव ग्लोबल वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। जो सोल आफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का आयोजन करने के लिए आर्मी एडवेंचर विंग के बैनर तले एक साथ आए हैं।
आम लोगों में साहसिक खेलों के प्रति बढ़ावा देना उद्देश्य
CLAW और सेना के संयुक्त प्रयासों से देहरादून में साहसिक खेलों के प्रति आम लोगों में बढ़ावा देने के लिए सोल ऑफ स्टील एल्पाइन चैलेंज का आयोजन किया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एडवेंचर कार रैली को फ्लैग ऑफ करेंगे। बता दें कि स्टील एल्पाइन चैलेंच चार चरणों में आयोजित की जाएगी। अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी तीसरे चरण में इसमें प्रतिभाग करेंगे। प्रतिभागी आज लांच होने वाली वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि इस साहसिक अभियान से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। सोल आफ स्टील प्रतिभागियों को गढ़वाल हिमालय में पर्वतारोहण के लिए भी प्रशिक्षित करेगा। अभियान के अंतिम चरण में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली छह सदस्यीय टीम को शारीरिक व मानसिक गतिविधियों की एक श्रृंखला के माध्यम से चुना जाएगा।
शौर्य गाथा समेटे है शौर्य स्थल
देश के सैन्य इतिहास में देवभूमि के रणबांकुरों के शौर्य के असंख्य किस्से दर्ज हैं। उनके इस अदम्य साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में पूर्व राज्य सभा सदस्य तरुण विजय की पहल पर युद्ध स्मारक की नींव रखी गई थी। उन्होंने अपनी निधि से इस काम के लिए दो करोड़ रुपये की मदद दी थी। यही नहीं उनकी अध्यक्षता में गठित उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से भी तमाम सुविधाएं यहां जुटाई गईं। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरभूमि उत्तराखंड के सैनिकों के नाम यहां दर्ज हैं। वहीं, वीर जवान की मुख्य मूर्ति के आधार के लिए बदरीनाथ क्षेत्र से छह फीट की करीब साढ़े नौ टन वजनी विशेष आधार शिला भी लाई गई। युवा पीढ़ी को फौज के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से विजयंत टैंक, लड़ाकू विमान मिग-21 व नौसेना के युद्धपोत (विद्युत वर्ग) की प्रतिकृति भी यहां स्थापित है। उत्तराखंड वार मेमोरियल ट्रस्ट ने बीती नौ दिसंबर को शौर्य स्थल सेना को हस्तांतरित कर दिया है।
Your point of view caught my eye and was very interesting. Thanks. I have a question for you.
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