Chamoli: थराली तहसील के रतगांव में निर्माणाधीन वैली ब्रिज अचानक टूट गया। बीते एक माह से 60 मीटर स्पान का यह पुल तैयार किया जा रहा था, ग्रामीणों ने हादसे को लेकर विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
इस पुल की लंबाई लगभग 60 मीटर और लागत 3 करोड़ रूपये के आस पास बताई जा रही है, साल 2013 में डुंग्री-रतगावं मोटर मार्ग पर इसी स्थान पर बनाया गया मोटर पुल अतिवृष्टि के कारण नदी में आई बाढ़ में बह गया था, उसके बाद वर्ष 2015-16 में वैली ब्रिज का निर्माण किया था, जो वर्ष 2018 मे भी दैवीय आपदा में बह गया था, उस समय ढाढरबगड़ में कई दुकानें, आवासीय भवन और वाहन बह गये थे।
इसके बाद से रतगांव का संपर्क हर साल बरसात में चार महीने कटा रहता है, ग्रामीण लगातार यहां पर मोटर पुल या वैलीब्रिज की मांग करते आ रहे थे, जिस पर शासन ने यहां के लिए 60 मीटर लंबे वैलीब्रिज बनाने की स्वीकृति 2024 में दी थी।
लोक निर्माण विभाग ने इस वैली ब्रिज का निर्माण दो माह पूर्व शुरू किया था, जब पुल लगभग जुड़ गया था, तभी ठेकेदार और विभाग की लापरवाही से पुल अचानक बीच से टूट गया, गनीमत रही कि उस दौरान वहां पर कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।
वहीं विभाग के सहायक अभियंता जगदीश कुमार टम्टा ने बताया कि ठेकेदार ने वैलीब्रिज के सपोर्ट और वर्थ को एक साथ हटा दिया, जिससे पुल भार सहन नहीं कर पाया और बीच से टूट गया,अब फिर से पुल का खोला जा रहा है, और नये सिरे से पुल को जोड़ने का कार्य किया जाएगा।
बता दें कि पूर्व में थराली से पैनगढ़ को जोड़ने वाले वैली ब्रिज भी ऐसे ही हादसे का शिकार हो गया था, उसके बाद भी विभाग ने सबक नहीं लिया और उसी ठेकेदार को पुन: इस वैलीब्रिज बनाने का ठेका दे दिया। गेरूड़़ के प्रधान और प्रशासक जगमोहन सिंह रावत ने कहा कि ठेकेदार और विभाग की मिलीभगत और घोर लापरवाही से यह हादसा हुआ है,जनता के धन का दुरूपयोग किया गया है, ग्रामीणो ने जांच की मांग की हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि इतने बड़े पुल का निर्माण अनुभवहीन ठेकेदार को सौंपा गया, जिससे निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी हुई। गनीमत रही कि हादसे के वक्त पुल पर कोई मजदूर नहीं था, वरना बड़ा नुकसान हो सकता था। विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और निर्माण कार्य को फिलहाल रोक दिया गया है। ग्रामीणों ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।