नमिता बिष्ट
नैनीताल जिले में ब्रिटिश शासन काल में बने भीमताल डैम के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। डैम से बड़े पैमाने पर पानी का रिसाव हो रहा है और दरारें भी पड़ रही हैं। केंद्रीय स्तर पर गठित डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल यानि डीएसआरपी की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है। कमेटी ने सिंचाई विभाग को डैम का एसआरटी यानि सेसमिक रफ्रिेक्शन टोमोग्राफी टेस्ट करवाने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि बांध की सुरक्षा के लिए हर चार से पांच साल में डीएसआरपी डैम का निरीक्षण करता है। इसी के तहत छह सदस्यों ने बीते साल दिसंबर में भीमताल डैम का निरीक्षण किया था। हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि डैम से काफी मात्रा में पानी का रिसाव हो रहा है। इसलिए मरम्मत की जरूरत है।
सिंचाई विभाग को दिए एसआरटी जांच कराने के निर्देश
पैनल ने डैम की फाउंडेशन की स्टडी और पानी के रिसाव की जानकारी के लिए एसआरटी जांच करवाने के निर्देश सिंचाई विभाग को दिए हैं। इससे साफ हो पाएगा कि झील से रोजाना कितना पानी रिस रहा है। डैम के कमजोर हो रहे हिस्सों की भी जानकारी मिल सकेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर डैम की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
1880 में ब्रिटिश शासनकाल में बना था डैम
भीमताल डैम का निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में 1880 में हुआ था। अंग्रेजों ने इसकी उम्र सौ साल तय की थी। उड़द की दाल व चूने के साथ पत्थरों को जोड़कर डैम बना था। इंग्लैंड की महारानी क्वीन विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्टोरिया भीमताल डैम रखा गया।
भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो सीसी पंत के अनुसार भीमताल डैम करीब डेढ़ सौ साल का होने जा रहा है। ऐसे में यदि बड़ा भूकंप या कोई आपदा आई तो इस बात को लेकर आशंका है कि यह डैम उसे झेल पाएगा या नहीं? ऐसे में हल्द्वानी के साथ ही तराई के बड़े इलाके के लिए खतरा बढ़ जाता है।