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देहरादून. उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक चल रही थी. बहस हुई तो नाराज़ होकर हरक सिंह रावत मंत्री पद छोड़ने और इस्तीफा देने की बात कहकर बाहर चले गए. इसके बाद से खास तौर पर दो सवालों को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं. एक तो यह कि बैठक में आखिर ऐसा हुआ क्या कि हरक सिंह इतने बिफर गए? और दूसरा, कि अब हरक सिंह का राजनीतिक सफर किस दिशा में जा सकता है? साफ़ तौर पर एक बार फिर वही चर्चाएं तेज़ हो गई हैं, जो पहले भी होती रही हैं. कई बार अपने बयानों के कारण कांग्रेस में वापसी करने संबंधी खबरों के चलते सुर्खियों में रहे हरक सिंह अब क्या कदम उठाने वाले हैं?
सबसे पहले बात करें पहले सवाल की, तो शुक्रवार को उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों की बैठक चल रही थी, जिसमें कुछ खास मुद्दों को लेकर बातचीत होनी थी. इसी बीच, कैबिनेट में एक प्रस्ताव रखा गया कि सीमित मात्रा में मुफ्त बिजली दिए जाने की घोषणा की जाए. असल में, यह प्रस्ताव आम आदमी पार्टी के ‘मुफ्त बिजली’ वाले ऐलान पर सरकार के जवाब के तौर पर रखा गया था. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों की मानें तो यह बातचीत बहस तक पहुंच गई और हरक सिंह नाराज़ होकर बैठक से चले गए, वह भी इस्तीफा देने की बात करते हुए.
मंत्री पद छोड़ने के पीछे तीन और कारण?
खबरें हैं कि हरक सिंह रावत की नाराज़गी मेडिकल कॉलेज को लेकर थी. बताया जा रहा है कि अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज को लेकर एक प्रस्ताव लाए थे, लेकिन उस पर कैबिनेट में मंज़ूरी नहीं मिलने से वह नाराज़ हो गए. हरक सिंह का यह बयान भी सुर्खियों में है कि उन्हें ‘भिखारी सा बनाकर रख दिया’. लेकिन हरक सिंह के इन तेवरों के कारण कुछ और भी रहे हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस ने हरक सिंह के इस्तीफे को लेकर ट्वीट किया.
बताया जाता है कि तीरथ सिंह रावत को हटाकर जब पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया तो ऐतराज़ करने वाले नेताओं में हरक सिंह शामिल थे. इनकी आपत्ति यह थी कि बगैर कोई मंत्री पद संभाले, किसी युवा नेता को सीधे सीएम क्यों बनाया जाए! सियासी गलियारों में चर्चा ये भी है कि हरक सिंह अपनी बहू अनुकृति के लिए चुनाव का टिकट चाह रहे थे, जिस पर भाजपा से कोई भरोसा या सकारात्मक जवाब नहीं मिला.
क्या कांग्रेस में वापसी है विकल्प?
पूर्व सीएम हरीश रावत ने जब कहा था कि 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में गए उन्हीं नेताओं को पार्टी वापस लेगी, जो माफी मांगेंगे, तब हरक सिंह ने हरीश रावत से माफी भी मांगी थी. इसके बाद से ही हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी के रास्ते खुलते नज़र आए थे. अब जबकि दिल्ली की बैठक के बाद हरीश रावत के हाथ मज़बूत कर दिए गए हैं, तो समीकरण क्या बन सकते हैं, इन्हें लेकर भी दिलचस्प अटकलें चल रही हैं.
बीजेपी कैसे कर रही है डैमैज कंट्रोल?
हरक सिंह और काउ के बीच शुक्रवार देर रात मुलाकात हुई है और सूत्रों की मानें तो सीएम पुष्कर धामी ने भी हरक से मुलाकात की है. धामी ने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव पर हरक सिंह को आश्वासन दे दिया है. शनिवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी देहरादून पहुंच रहे हैं और माना जा रहा है कि आज हरक सिंह को लेकर कोई बड़ी खबर आ सकती है.
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